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आसमान छूते खाद्य तेलों के खुदरा दाम 5-20 रुपये किलो तक हुए कम, आम आदमी को मिलेगी राहत!

देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती के बाद खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने शुक्रवार को कहा कि देशभर के प्रमुख खुदरा बाजारों में खाद्य तेल की कीमतों में 5-20 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है।

देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती के बाद खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने शुक्रवार को कहा कि देशभर के प्रमुख खुदरा बाजारों में खाद्य तेल की कीमतों में 5-20 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है। सरकार द्वारा आयात शुल्क में कटौती के साथ जो अन्य उपाय किए गए हैं, उनसे खाद्य तेलों के दाम नीचे आए हैं।
घरेलू खाद्य तेल की कीमतें वैश्विक कीमतों के अनुरूप बढ़ी
अधिकारी ने कहा कि ब्रांडेड तेल कंपनियों ने भी नए स्टॉक के लिए दरों में संशोधन किया है। घरेलू खाद्य तेल की कीमतें वैश्विक कीमतों के अनुरूप बढ़ी हैं। इंडोनेशिया, ब्राजील और अन्य देशों में जैव ईंधन के लिए खाद्य तेलों को उपयोग में लाने (डायवर्जन करने) के बाद खाद्य तेलों की उपलब्धता कम हुई है जिससे कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
हम 167 केंद्रों में इसके असर को साझा करके खुश हैं
पांडेय ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, ‘‘सरकार ने उपभोक्ताओं को उच्च कीमतों से राहत सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। हम 167 केंद्रों में इसके असर को साझा करके खुश हैं। देशभर के प्रमुख खुदरा बाजारों में खाद्य तेल की कीमतों में पांच रुपये से 20 रुपये प्रति किलोग्राम तक के दायरे में पर्याप्त गिरावट आई है।“
उदाहरण देकर समझाया, कहा- 
उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, दिल्ली में खुदरा पाम तेल की कीमत तीन नवंबर को 139 रुपये प्रति किलोग्राम से पांच रुपये घटकर 133 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई, जबकि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में यह 140 रुपये प्रति किलोग्राम से 18 रुपये गिरकर 122 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई, जबकि तमिलनाडु के कुड्डालोर में यह सात रुपये घटकर 125 रुपये किलो रह गई।
मूंगफली तेल की खुदरा कीमतों में भी 5-10 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट 
उन्होंने कहा कि मूंगफली तेल की खुदरा कीमतों में भी 5-10 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है, जबकि सोयाबीन तेल में 5-11 रुपये प्रति किलोग्राम और सूरजमुखी के तेल की कीमतों में 31 अक्टूबर से तीन नवंबर के बीच 5-20 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है। सरकार देशभर के 167 केंद्रों से छह खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों की निगरानी करती है।
सरसों के तेल के बारे में सचिव ने कहा, ‘‘हमने कीमतों में उल्लेखनीय कमी नहीं देखी है,’’ लेकिन आयात शुल्क को युक्तिसंगत बनाने सहित सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का असर सरसों के तेल की कीमतों पर भी पड़ेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सरसों के तेल की कीमतों में भी गिरावट का रुझान देखने जा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि सरसों की मौजूदा बुवाई पिछले साल की तुलना में बेहतर है। उन्होंने कहा कि रबी की फसल सरसों की बुवाई का रकबा एक साल पहले की अवधि की तुलना में 11 प्रतिशत बेहतर है।
मैंने तेल उद्योग से बात की है- खाद्य सचिव 
यह पूछे जाने पर कि ब्रांडेड खाद्य तेल कब अपनी दरों में संशोधन करेंगे, सचिव ने कहा, ‘‘मैंने तेल उद्योग से बात की है और उन्होंने कहा है कि आगे वे तेल कीमतों में संशोधन कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि वास्तव में उद्योग निकाय एसईए ने अपने वितरण, खुदरा विक्रेताओं और थोक विक्रेताओं को पुराने स्टॉक पर भी उपभोक्ताओं को आयात शुल्क में कटौती का फायदा देने की सलाह दी है।
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि अडानी विल्मर और रुचि इंडस्ट्रीज सहित प्रमुख खाद्य तेल कंपनियों ने त्योहारी सत्र के दौरान उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए थोक कीमतों में 4-7 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है।
जमाखोरी पर अंकुश लगाने के लिए
जिन अन्य कंपनियों ने खाद्य तेलों के थोक मूल्यों में कमी की है, वे हैं जेमिनी एडिबल्स एंड फैट्स इंडिया, हैदराबाद, मोदी नैचुरल्स, दिल्ली, गोकुल री-फॉयल एंड सॉल्वेंट, विजय सॉल्वेक्स, गोकुल एग्रो रिसोर्सेज और एन के प्रोटींस। सचिव ने कहा कि वैश्विक खाद्य तेल की कीमतें पिछले दस दिनों में उच्च स्तर पर ठहराव की स्थिति में बनी हुई हैं, लेकिन आयात शुल्क में कमी और जमाखोरी पर अंकुश लगाने के लिए स्टॉक सीमा लगाने जैसे अन्य कदमों से घरेलू कीमतों को कम करने में मदद मिली है।
पांडेय ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की दरों में कमी का स्थानीय खाद्य तेल की कीमतों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि वितरण लागत कम हो जाएगी। वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार ने कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए थोक और खुदरा विक्रेताओं पर 25 टन तक स्टॉक रखने की सीमा तय की है। तीन और राज्य स्टॉक सीमा लागू करने के अंतिम चरण में हैं। सचिव ने कहा कि केंद्र अगले सप्ताह राज्य सरकारों के साथ स्टॉक सीमा की स्थिति की समीक्षा करेगा।

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