नई दिल्ली : यह कहना गलत नहीं होगा कि आजाद भारत में पहली बार सोशल मीडिया का जादू सिरचढ़कर बोला है। या यूं कहें कि रचनात्मक नारे 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को प्रचंड बहुमत दिला दिया। बहुत से राजनीतिक दलों ने रचनात्मक नारों के आधार पर चुनाव जीते हैं जबकि नारों के लोगों को प्रभावित न कर पाने की सूरत में कई दल हार गए हैं।
इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में सोशल मीडिया के जरीए खूब सारे नारे लिखे और शेयर किए गए। जिनमें मोदी है तो मुमकीन है, चौकीदार, फिर एक बार मोदी सरकार, कर चूका फैसला, हम मोदी जी को चुन रहे हैं, दिल्ली के दिल में आदि प्रमुख रहे हैं।
राजनीतिक दलों के नारे अक्सर देश का मिजाज भांपने की दल की क्षमता को रेखांकित करते हैं। एक अच्छा नारा धर्म, क्षेत्र, जाति और भाषा के आधार पर बंटे हुए लोगों को साथ ला सकता है लेकिन खराब नारा राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पलीता भी लगा सकता है। इस चुनाव में भी सभी मुख्य राजनीतिक दलों ने मतदाताओं के दिलों के तार छेड़ने वाला जादुई शब्द-समूह का प्रयोग किया। इसी क्रम में कांग्रेस ने भी अब होगा न्याय… जैसे नारे लोगों के बीच फेमस हुआ।
भाजपा के नारे की रही गूंज… भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर दांव खेली और नारा दिया ‘फिर एक बार, मोदी सरकार’, हम मोदी जी को चुन रहे हैं…। यकीननयह नारा चल पड़ा, इसके प्रशंसक और आलोचक दोनों पर ही एक समान असर रहा है। इस नारे के राजनीतिक फायदे से इतर मजेदार बात यह है कि यह सोशल मीडिया के प्लेटफार्म में लगातार चर्चा का मुद्दा बना रहा।