मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह ने रविवार को बयान दिया है कि, वह और उनके राज्य के लोग सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफ्सपा) को हटाना जाना चाहते हैं लेकिन केंद्र सरकार की परस्पर सहमति के बाद ही क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा उनकी शीर्ष प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने यहां मीडिया को दिए साक्षात्कार में कहा, मेरा मानना है कि अफ्सपा को केंद्र की सहमति से क्रमिक रूप से हटाया जा सकता है। लेकिन हमें अवश्य याद रखना चाहिए कि म्यांमांर में राजनीतिक स्थिरता नहीं है और उसके साथ हमारे देश की सीमा लगी हुई है। चुनावी राज्य के भारतीय जनता पार्टी के प्रथम मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि चुनाव बड़े बदलाव को प्रदर्शित करेंगे और उनकी पार्टी सीटों की अपनी संख्या दोगुनी करेगी।
अफ्सफा हटाने को लेकर राज्य में हुए है कई आंदोलन
सीएम सिंह ने कहा, हम दो-तिहाई बहुमत हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। हमारा कोई चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं है लेकिन जरूरत पड़ने पर चुनाव बाद गठबंधन किया जा सकता है। उन्होंने इस बार शांति, विकास और सौहार्द्रपूर्ण सह-अस्तित्व को भाजपा का मुख्य चुनावी मुद्दा बताते हुए यह बात कही। कांग्रेस के 28 विधायक होने के बावजूद अपने महज 21 विधायकों के साथ भाजपा ने दो स्थानीय दलों, एनपीपी और एनपीएफ के सहयोग से 2017 में सरकार बनायी थी। राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में 27 फरवरी और तीन मार्च को चुनाव होने हैं। अफ्सफा हटाने की मांग को लेकर राज्य में कई आंदोलन हुए हैं। मणिपुर की इरोम शर्मिला का अनशन भी इसका एक मुख्य उदाहरण है जो देश में सबसे लंबे समय तक चला था। अफ्सफा हटाना, एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है और पड़ोसी राज्य नगालैंड में सैन्य कर्मियों की गोलीबारी में 14 आम लोगों के मारे जाने को लेकर एक बार फिर यह एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।
मणिपुरी होने के नाते चाहता हूं कि, अफ्सफा हटा दिया जाए : सीएम सिंह
सिंह ने कहा, हम एक सीमावर्ती राज्य हैं और म्यांमार के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं। मुझे राष्ट्रहित को भी देखना होगा। लेकिन एक मणिपुरी होने और मणिपुर का मुख्यमंत्री होने के नाते, मैं चाहता हूं कि अफ्सफा हटा दिया जाए। उन्होंने कहा, लेकिन साथ ही, जमीनी हकीकत का आकलन किए बगैर ऐसा करना संभव नहीं है। केंद्र सरकार से परामर्श किए बगैर, यह संभव नहीं है। उन्होंने कहा, मेरे सहित मणिपुर के लोग चाहते हैं कि अफ्सपा को हटा दिया जाए लेकिन केंद्र सरकार की परस्पर सहमति के बाद, क्योंकि राष्ट्र की सुरक्षा हमारे लिए पहली प्राथमिकता है। सिंह ने कहा कि राज्य में पिछले पांच वर्षों में कोई बड़ी अप्रिय घटना नहीं हुई है और उग्रवाद 90 प्रतिशत तक घट गया है। उन्होंने कहा, मणिपुर सरकार म्यांमार में मणिपुरी उग्रवादियों के साथ सार्थक वार्ता करने की भी कोशिश कर रही है।