पटना : कृषि मंत्री डा. प्रेम कुमार द्वारा बिहार राज्य में जैविक खेती की संभावना विषय पर बामेती, पटना के सभागार में आयोजित एक राज्यस्तरीय कार्यशाला का उद्घाटन किया गया। प्रजापति ब्रह्मकुमारी संस्थान द्वारा कृषि मंत्री को अंगवस्त्र एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। सिक्किम स्टेट ऑरगेनिक सर्टिफीकेशन एजेन्सी के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी श्रीमती सेराब एल. दोर्जे द्वारा उन्हें सिक्किम के परम्परागत अंगवस्त्र, पारम्परिक मोमेन्टो तथा पुष्पगुच्छ से सम्मानित किया गया।
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार की ओर से जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु कई योजनाएं चलाई जा रही है, परन्तु यह सफल तभी हो पायेगी जब इसमें राज्य के आम नागरिकों एवं अन्नदाता किसानों की समुचित भागीदारी सुनिश्चित हो। किसानों एवं आम नागरिकों को जागरूक किये बिना जैविक खेती का विस्तार संभव नहीं है।
जैविक खेती हो अपनाने हेतु इसके व्यापक प्रचार-प्रसार तथा जन-जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से इस सेमिनार का आयोजन किया गया है। बिहार राज्य के जमुई जिला के किसानों के द्वारा बनाए गए संगठन केडिया जैविक जीवित माटी स्वाबलम्बी समूह, केडिया एवं राम विनय सिंह, जैविक कृषक जिला औरंगाबाद ने बिहार में सर्वप्रथम जैविक खेती व जैविक प्रमाणीकरण कर अपना पहला पड़ाव अर्थात सी. 1 प्रमाण-पत्र प्राप्त किया।
रासायनिक कृषि से जैविक कृषि की ओर अग्रसर होने में रूपांतरण अवधि मुख्यत: फील्ड क्रॉप के लिए तीन सालों का प्रावधान है। इस अवधि के दौरान मृदा पूर्णत: रासायनिक जहर से मुक्त होकर स्वस्थ और सुन्दर हो जाती है। यदि कोई कृषक बंधु पहले से जैविक खेती की प्रक्रिया अपना रहे हैं तो उनका प्रमाणीकरण एक्रीडिटेड सर्टिफिकेशन बॉडी के द्वारा विधिवत् निरीक्षण करने के उपरांत उन्हें एक वर्ष घटाकर दो वर्ष की रूपांतरण अवधि किया जा सकता है।
पहली वर्ष रूपांतरण अवधि को कन्वर्जन 1 (सी. 1), दूसरे वर्ष को कन्वर्जन 2 (सी. 2), तथा तीसरे वर्ष रूपान्तरण अवधि के पश्चात् जैविक के लोगो का उपयोग करके जैविक खेती करने वाले किसान अपने बाजारों से उचित मूल्य प्राप्त कर सकते हैं। इन सी. 1, सी. 2 तथा जैविक प्रमाण-पत्र किसानों को एपीडा द्वारा एक्रीडिटेड सर्टिफिकेशन बॉडी के द्वारा उपलब्ध कराया जाता है।