श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष राम विलास वेदांती ने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण अगले साल हर हाल में शुरू हो जाएगा।
विवादित राम जन्मभूमि मामले के मुख्य पक्षकार डॉ. वेंदाती ने रविवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में विश्वास जताया कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल में अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा। उन्होने कहा कि मंदिर निर्माण की शुरूआत अगले साल होगी, तब तक उच्चतम न्यायालय का फैसला भी आ जाएगा, और राज्यसभा में भाजपा का बहुमत भी होगा।
उन्होने दावा किया कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर और लखनऊ में मस्जिद बनाने पर किसी भी धर्माचार्य को एतराज नहीं है। उन्होंने अध्यादेश नहीं लाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बचाव करते हुये कहा कि राज्यसभा में भाजपा का बहुमत नहीं होने के कारण अध्यादेश लाना व्यावहारिक नहीं है।
श्री वेदांती ने कहा कि संसद में राम मंदिर निर्माण मामले का समाधान हिंदू-मुस्लिम की आपसी सहमति को आधार बनाकर भी प्रशस्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राम जन्म भूमि पर दुनिया की कोई ताकत मस्जिद नहीं बनवा सकती है।
मुरादाबाद पूर्व सांसद ने कहा कि पाकिस्तान परस्त कुछ कट्टरपंथी ताकतें इस मसले को लटकाए रखकर देश का सांप्रदायिक सछ्वाव बिगाड़ने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन उन्हें मालूम होना चाहिए कि राम जन्मभूमि परिसर में दुनिया की कोई भी ताकत मस्जिद नहीं बनवा सकती। पूर्व सांसद ने कहा कि राम जन्म भूमि पर हुई खुदाई में 12 भगवानों की मूर्तियां निकलीं, और मस्जिद संबंधी कोई प्रमाण नहीं मिला है।
उन्होंने कहा, ‘‘ अयोध्या में मंदिर तोड़कर मस्जिद के गुम्बद बनाए गए थे। जिस तरह पाकिस्तान और मलेशिया में काफी पहले तोड़ गए मंदिरों के स्थान पर फिर मंदिर बनवा दिए गए, वैसे ही भारत में क्यों नहीं हो सकता।’’
वेदांती ने कहा कि देश के 80 फीसदी मुसलमान इस विवाद के जल्द समाधान के पक्ष में हैं। वे भी जन्मभूमि पर राम मंदिर देखना चाहते हैं, लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड इस मसले को उलझाए रखना चाहता है, जिससे देश के अमन चैन को नुकसान पहुंचाया जा सके। इसके लिए उसे पाकिस्तान परस्त आतंकवादियों से धन मिलता है।जबकि शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी इस बारे में पहले ही बयान दे चुके हैं।
उन्होने कहा, कि काशी, मथुरा और अयोध्या सहित देश भर में 30 हजार से अधिक मंदिरों को तोड़ कर मस्जिद बनाए गए, लेकिन संत समाज ने कभी 30 हजार मंदिरों की मांग नहीं की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ समेत देश के संतों ने केवल तीन मंदिरों की मांग का प्रस्ताव रखा था, जिसमें काशी में विश्वनाथ मंदिर, मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि और राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण शामिल हैं।
इस प्रस्ताव पर विहिप के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंहल और रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे रामचन्द, परमहंस दास के हस्ताक्षर हैं।उस समय सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद शहाबुद्दीन ने कहा था कि अगर यह साबित हो जाए कि विवादित भूमि पर मंदिर के अवशेष हैं तो उन्हे मंदिर निर्माण पर कोई आपत्ति नहीं है।सैयद शहाबुद्दीन आज जीवित नहीं हैं, लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रमाण मिलने के बाद उच्च न्यायालय से अपना दावा वापस ले लेना चाहिए था, लेकिन मामले को उलझाए रखने के लिए ऐसा नहीं किया गया।
इस मौके पर वरिष्ठ समाजसेवी संतोष गुप्ता ने बताया कि पीतांबरा देवी आयोजक समिति द्वारा सिल्वर जुबली वर्ष मनाए जाने के उपलक्ष मे 26 जनवरी 2020 से लेकर दो फरवरी तक रामपुर रोड स्थित शिवशक्ति साप्ताहिक कथा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देशभर से विद्वत संत मुरादाबाद में पधारेंगे।