भारतीय वायुसेना के एयर मार्शल अर्जन सिंह में सेना का अनुशासन अंतिम सांस तक बरकरार रहा। पीएम मोदी ने याद किया कि कुछ अरसे पहले बीमार होने के बावजूद और रोकने के बावजूद उन्होंने मोदी को सलामी दी थी। इसी तरह का एक वाकया जुलाई 2015 में सामने आया था जब उन्होंने व्हील चेयर से उठकर पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि दी थी।
पूर्व राष्ट्रपति कलाम का निधन होने पर उनका पार्थिव शरीर भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के विमान सी-130 सुपर हरक्यूलिस से शिलांग से पालम हवाईअड्डे पर लाया गया था। इस मौके पर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर तथा तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने कलाम को श्रद्धांजलि दी। पिछले साल अप्रैल में उनके जन्मदिन के मौके पर पश्चिम बंगाल के पनागढ़ एयरबेस का नाम बदलकर उनके नाम पर रख दिया गया। यह पहली बार था जब एक जीवित ऑफिसर के नाम पर किसी सैन्य प्रतिष्ठान का नाम रखा गया हो।
1965 की लड़ाई में पाकिस्तान के कई एयरफील्ड्स किए थे तबाह
पद्म विभूषण से सम्मानित एयर फोर्स मार्शल अर्जन सिंह 1 अगस्त 1964 से 15 जुलाई 1969 तक चीफ ऑफ एयर स्टाफ रहे। इसी दौरान 1965 की लड़ाई में अभूतपूर्व साहस के प्रदर्शन के चलते उन्हें वायु सेनाध्यक्ष के पद से पद्दोन्नत करके एयरचीफ मार्शल बनाया गया। उनके नेतृत्व में इस युद्ध में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर कई एयरफील्ड्स तबाह कर डाले थे।
एयर फोर्स प्रमुख के तौर पर लगातार 5 साल अपनी सेवाएं देने वाले अर्जन सिंह एकमात्र चीफ ऑफ एयर स्टाफ थे। 1971 में अर्जन सिंह को स्विटजरलैंड में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया। इसके अलावा उन्हें वेटिकन और केन्या में भी नियुक्त किया गया था। इंडियन एयर फोर्स के मार्शल अर्जन सिंह का दिल का दौरा पड़ने से शनिवार शाम निधन हो गया। 98 वर्षीय इस ऑफिसर के जुनून और प्रतिबद्धता की मिसालें उनकी मृत्यु के बाद भी दी जाती रहेंगी।
फाइव स्टार रैंक वाले एयर फोर्स के एकलौते अफिसर थे
पंजाब के लयालपुर (अब पाकिस्तान का फैसलाबाद) में 15 अप्रैल 1919 को जन्मे अर्जन सिंह औलख फील्ड मार्शल के बराबर फाइव स्टार रैंक हासिल करने वाले इंडियन एयर फोर्स के एकलौते ऑफिसर थे। इंडियन आर्मी में उनके अलावा बस 2 और ऑफिसर्स को फाइव स्टार रैंक मिली थी- फील्ड मार्शल केएम करियप्पा और फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ। जून 2008 में सैम मानेकशॉ के निधन के बाद अर्जन सिंह भारतीय सेना के फाइव स्टार रैंक वाले एकमात्र जीवित ऑफिसर थे। अब उनका भी निधन हो चुका है।
19 साल की अवस्था में अर्जन सिंह ने रॉयल एयर फोर्स कॉलेज जॉइन किया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने बर्मा में बतौर पायलट और कमांडर अद्भुत साहस का परिचय दिया। अर्जन सिंह की कोशिशों के चलते ही ब्रिटिश भारतीय सेना ने इंफाल पर कब्जा किया जिसके बाद उन्हें डीएफसी की उपाधि से नवाजा गया। 1950 में भारत के गणराज्य बनने के बाद अर्जन सिंह को ऑपरेशनल ग्रुप का कमांडर बनाया गया। यह ग्रुप भारत में सभी तरह के ऑपरेशन के लिए जिम्मेदार होता है।
सेना के सिर्फ 3 अफसरों को मिला है ये ताज
98 साल के मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह भारत के ऐसे तीसरे अफसर थे जिन्हें राष्ट्रपति भवन में सेना का दुर्लभ सम्मान मिला था। अर्जन सिंह को जो सर्वोच्च सम्मान मिला, वो अब तक सेना में केवल 3 अफसरों को ही मिला है. सेम मानेकशॉ को ये सम्मान दिया गया था। उन्हीं की तरह केएम करियप्पा को भी ये सम्मान दिया गया। फिर एयरफोर्स में अर्जन सिंह को ये सम्मान मिला
आइए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं…
- मार्शल अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को फैसलाबाद, पाकिस्तान में हुआ था। 1938 को 19 साल की उम्र में उनका चयन पायलट ट्रेनिंग के लिए हुआ।
- 1944 में उन्हें स्क्वॉड्रन लीडर बनाया गया। उन्होंने अराकान कैंपेन के दौरान जपानियों के खिलाफ टीम का नेतृत्व किया।
- आजादी के बाद 15 अगस्त 1947 को सिंह को दिल्ली के लाल किले के ऊपर से 100 IAF एयरक्राफ्ट्स के फ्लाई-पास्ट का नेतृत्व करने का मौका मिला।
- 1949 में सिंह ने एयर ऑफिसर कमांडिंग ऑफ ऑपरेशनल कमांड का जिम्मा संभाला। इसे ही बाद में वेस्टर्न एयर कमांड कहा गया।
- 1965 में पहली बार जब एयरफोर्स ने जंग हिस्सा लिया तो अर्जन सिंह ही उसके चीफ थे। उनके नेतृत्व में ही एयरफोर्स ने एक घंटे के भीतर ही पाकिस्तानी फौज पर हमला बोला था।
- अर्जन सिंह को 2002 में एयरफोर्स का पहला और इकलौता मार्शल बनाया गया। वे एयरफोर्स के पहले फाइव स्टार रैंक अधिकारी बने। 1965 की जंग में उनके योगदान के लिए भारत ने उन्हें इस सम्मान से नवाजा था।
- उन्हें 1965 में ही पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया। सिंह 1 अगस्त 1964 से 15 जुलाई 1969 तक चीफ ऑफ एयर स्टाफ रहे।
- उन्होंने भारतीय वायुसेना को सशक्त बनाने में अहम भूमिका अदा की और उसे विश्व की चौथी बड़ी वायुसेना बनाया।
- सिंह ने दिल्ली के पास अपने फार्म को बेचकर 2 करोड़ रुपए ट्रस्ट को दे दिए। ये ट्रस्ट सेवानिवृत्त एयरफोर्स कर्मियों के कल्याण के लिए बनाया गया था। सिंह दिसंबर 1989 से दिसंबर 1990 तक दिल्ली के उपराज्यपाल भी रहे।
- 27 जुलाई, 2015 को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के निधन के बाद अंतिम दर्शन के लिए राष्ट्रपति और पीएम समेत कई नेता पहुंचे थे। अर्जन सिंह व्हीलचेयर पर उन्हें दर्शन करने पहुंचे थे। कलाम को देखते ही खुद चलकर पास आए और तनकर सलामी भी दी थी।