दिशा रवि ने तोड़ी चुप्पी, कहा- सबकुछ जो सच है, सच से बहुत दूर लगता है, कानून नहीं मीडिया ने ठहराया दोषी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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दिशा रवि ने तोड़ी चुप्पी, कहा- सबकुछ जो सच है, सच से बहुत दूर लगता है, कानून नहीं मीडिया ने ठहराया दोषी

‘टूलकिट’ मामले में गिरफ्तार दिशा रवि ने पहली बार अपनी चुप्पी को तोड़ते हुए बयान जारी किया, उन्होंने कहा सबकुछ जो सच है, सच से बहुत दूर लगता है।

‘टूलकिट’ मामले में गिरफ्तार 21 साल की पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि ने पिछले महीने जमानत पर रिहा होने के बाद  पहली बार अपनी चुप्पी को तोड़ते हुए बयान जारी किया, उन्होंने कहा “सबकुछ जो सच है, सच से बहुत दूर लगता है : दिल्ली का स्मॉग, साइबर पुलिस स्टेशन, दीन दयाल हॉस्पिटल पटियाला कोर्ट और तिहाड़ जेल।” अगर कोई मुझसे पूछता कि मैं अगले 5 सालों में खुद को कहां देखती हूं तो मैं जेल कभी ना कहती। इसके साथ ही उन्होंने अपने बयान में और कई बातें लिखी है। 
उन्होंने आगे लिखा- “मैं खुद से पूछती रही कि उस वक्त वहां पर होना कैसा लग रहा था, लेकिन मेरे पास कोई जवाब नहीं था। इसका सामना करने का सिर्फ एक ही तरीका था कि मैं ये सोच लूं कि मेरे साथ ये सब हो ही नहीं रहा है। पुलिस 13 फरवरी 2021 को मेरे दरवाजे पर नहीं आई थी, उन्होंने मेरा फोन और लैपटॉप नहीं लिया और गिरफ्तार नहीं किया। उन्होंने मुझे पटियाला हाउस कोर्ट में भी पेश नहीं किया। जब मैं कोर्ट में खड़ी थी तो मुझे नहीं समझ आ रहा था कि मुझे कोई कानूनी सहायता मिलेगी या मुझे खुद ही अपना पक्ष रखना होगा। जब जज ने पूछा कि क्या मुझे कुछ कहना है तो मैंने अपने मन की बात कहने का फैसला किया। इससे पहले मैं कुछ समझ पाती, मुझे पांच दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया।”
दिशा ने लिखा- “ये अनोखी की बात नहीं है कि उसके बाद मेरे अधिकारों का हनन हुआ, मेरी तस्वीरें पूरे मीडिया में फैल गईं, मुझे मुजरिम करार दे दिया गया – कोर्ट के द्वारा नहीं, टीआरपी चाहने वाले टीवी स्क्रीन पर। मैं वहां बैठी रही, इस बात से अनजान कि उनके विचार के हिसाब से मेरे बारे में काल्पनिक बातें गढ़ी गईं। 
दिशा रवि ने कहा कि जब मैं तिहाड़ जेल में थी तो प्रत्येक दिन, प्रत्येक घंटा और प्रत्येक मिनट मुझे महसूस हो रहा था। जेल में बंद रहने के दौरान मैं सोच रही थी कि इस ग्रह पर जीविका के सबसे बुनियादी तत्वों के बारे में सोचना कब गुनाह हो गया, जो कि जितना उनका है उतना मेरा भी है।” इसके अलावा दिशा ने अपने सपोर्ट करने वालों का शुक्रिया करते हुए लिखा- “मैं भाग्यशाली थी कि मुझे प्रो-बोनो (जनहित) कानूनी सहायता मिली लेकिन उनका क्या जिन्हें ये नहीं मिलता? उन लोगों का क्या कि जिनकी कहानियों की मार्केटिंग नहीं हो सकती? उन पिछड़े लोगों का क्या जो स्क्रीन टाइम के लायक नहीं हैं?”

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