पटना, (पंजाब केसरी): भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि भारत बंद के दौरान बिहार में किसान कहीं सडक पर नहीं दिखे क्योंकि वे सालाना 6 हजार रुपये खाते में पहुंचाने वाली किसान सम्मान योजना और आय दोगुनी करने में सहायक कृषि कानूनों से संतुष्ट हैं। बंद के दौरान विपक्ष के नेता दिल्ली में छुट्टी मना रहे थे, जिससे जाहिर है कि वे इस मुद्दे पर गंभीर नहीं थे। वंशवादी राजनीति के राजकुमार उत्तर बिहार में चमकी बुखार और भीषण बाढ के समय भी बिहार से लापता थे।
मोदी ने कहा कि बिहार में पहली एनडीए सरकार ने किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए जिस कानून को 2006 में ही समाप्त कर दिया था। 2010 के चुनाव में एनडीए को किसानों-महिलाओं ने 206 सीटों के अपार बहुमत से फिर सेवा का मौका दिया। विपक्ष ने 14 साल तक जिस मुद्दे पर विरोध करने की हिम्मत नहीं की, उस मुद्दे पर बिहार में “भारत बंद” कराने के लिए लाठी लेकर क्यों निकल पडे?
केंद्र सरकार ने बार-बार कहा कि तीन नए कृषि कानून लागू होने के बाद भी एमएसपी और मंडी व्यवस्था लागू रहेगी, लेकिन गरीबों-किसानों को धोखा देकर मतपेटी से बहुमत का जिन्न निकालना जिनके लिए मुश्किल हो गया, उन सबने मिलकर चुनावी पराजय का जनता से बदला लेने के लिए बंद कराने की कोशिश की। बिहार की जनता ने उस बंद को नकार दिया, जो न किसानों का था, न किसानों के लिए था और न असली किसानों की भागीदारी से संचालित था।