मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद (एसबीसी) के आह्वान पर आज प्रदेश के अधिवक्ता प्रतिवाद दिवस मनाते हुए न्यायिक कार्य से विरत रहे। उच्च न्यायालय की गत दिवस आयोजित फुल कोर्ट की बैठक में प्रतिवाद दिवस को सहमति प्रदान नहीं की गई थी।
उच्च न्यायालय ने इस संबंध में एसबीसी को निर्देशित किया था कि प्रवीण पांडे विरुद्ध प्रदेश सरकार मामले में पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें। इसके बावजूद अधिवक्ताओं ने एसबीसी के आह्वान पर स्वयं को न्यायलयीन कार्य से विरत् रखा और एक विशाल रैली निकालकर वकीलों की स्वतंत्रता को लेकर संवैधानिक पीठ द्वारा न्यायिक समीक्षा की मांग को लेकर प्रधानमंत्री और भारत के प्रधान न्यायधीश के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
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एसबीसी की स्टीयरिंग कमेटी के संयोजक व वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्श मुनि त्रिवेदी ने बताया कि पूरे प्रदेश के अधिवक्तागण न्यायिक कार्य से विरत् रहे। जिला बार, राजस्व न्यायालयों व न्यायिक अधिकरणों आदि में भी एक भी अधिवक्ता न्यायिक कार्य में उपस्थित नहीं हुआ। वकीलों ने तीन निर्णयों की उच्चतम न्यायालय की बड़ संवैधानिक पीठ द्वारा न्यायिक समीक्षा की मांग के समर्थन में रैली निकालकर ज्ञापन सौंपा।
राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष शिवेन्द, उपाध्याय ने बताया कि विवादित धारा 34 के माध्यम से अधिवक्ता की स्वतंत्रता समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। उच्चतम न्यायालय का स्पष्ट आदेश हैं कि अधिवक्ता की सनद रद्द करने के संबंध में न्यायालय हस्ताक्षेप नहीं कर सकता है।