दिल्ली की अदालत ने कश्मीर में आतंकवाद का कथित वित्तपोषण करने से जुड़े धनशोधन के एक मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की जमानत याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि कोविड-19 की वजह से हुई देरी के लिए अभियोजन पक्ष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
इस बीच, विशेष न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने प्रवर्तन निदेशालय को सुनवाई में तेजी लाने करने का निर्देश दिया। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अबतक मामले की सुनवाई पूरी हो जाती, लेकिन कोविड-19 की वजह से अदालतों में कामकाज स्थगित रहने से कुछ समय लग रहा है।
हालांकि, अभियोजन पक्ष को इस आपदा की वजह से हुई देरी के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। कोई भी इससे परे जाकर कार्य नहीं कर सकता।’’ न्यायाधीश ने आदेश में रेखांकित किया कि मामले के कुछ अहम गवाहों का परीक्षण अब तक नहीं हुआ है और अभियोजन की यह आशंका कि आवदेक अहम सुनवाई को प्रभावित कर सकता हैं, को हल्के में लेकर नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आरोपों की प्रकृति और आवेदक आरोपी की पूर्ववर्ती आपराधिक पृष्ठभूमि को देखते हुए मेरा विचार है कि जमानत अर्जी में कोई गुण नहीं है और इसलिए इसे खारिज किया जाता है।’’ हालांकि, उन्होंने जोड़ा कि आरोपी की सुनवाई जल्द कराने संबंधी चिंता को देखने की जरूरत है।
न्यायाधीश ने मामले को तीन अगस्त के लिए टालते हुए कहा, ‘‘इसके अनुरूप यह उचित होगा कि मामले की सुनवाई पहले निर्धारित की जाए।’’ उन्होंने टिप्पणी की, ‘‘उम्मीद है कि अगस्त महीने के पहले सप्ताह में सामान्य स्थिति लौट आएगी और अदालतों में सामान्य काम काज बहाल हो जाएगा।’’
शब्बीर शाह की ओर से पेश वकील एमएस खान ने जमानत याचिका दायर करते हुए दावा किया कोविड महामारी की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर धन शोधन के मामले की निकट भविष्य में सुनवाई पूरी होने की उम्मीद नहीं है। ईडी की ओर से पेश विशेष अभियोजक एनके मट्टा ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए दावा किया कि शब्बीर शाह ने कश्मीर में अस्थिरता पैदा करने के लिए पाकिस्तान और अन्य देशों से भारी राशि जमा की।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने अगस्त 2005 में कथित हवाला कारोबारी अहमद वानी को गिरफ्तार किया था और दावा किया था कि उसके पास से 63 लाख रुपये बरामद किए गए, जिनमें से 52 लाख रुपये कथित तौर पर शाह को दिए जाने थे।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक वानी ने दावा किया था कि उसने 2.25 करोड़ रुपये शब्बीर शाह को दिए। बाद में, प्रवर्तन निदेशालय ने 2007 में शब्बीर शाह और वानी के खिलाफ धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामला दर्ज किया था।