राष्ट्रीय राजधानी में मेयर के चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) आमने-सामने हैं। दोनों दल एक-दूसरे पर निशाना साधने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे हैं। ‘आप’ आरोप लगा रही है कि भाजपा उनके पार्षदों को लालच देकर अपने पाले में लाना चाहती हैं। वहीं भाजपा भी ऐसा ही आरोप ‘आप’ पर लगा रही हैं। हालांकि भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा था कि दिल्ली नगर निगम में उनका ही मेयर होगा। लेकिन बाद में वह अपने वक्तव्य से पलट गए। उन्होंने कहा कि एमसीडी में ‘आप’ का ही मेयर होगा और भाजपा विपक्ष की भूमिका निभाएगी। जिसके बाद से ही यह प्रश्न उठने लगे है कि क्या भाजपा ने मेयर चुनाव से खुद को दूर कर लिया है?
केजरीवाल सरकार को घेरने का अवसर
दरअसल आम आदमी पार्टी ने एमसीडी चुनाव में बड़े-बड़े वादे किए थे। जिसमे सबसे प्रमुख लैंडफिल साइट को साफ करने का वादा है। भाजपा के एक नेता ने कहा कि लैंडफिल साइट को 5 वर्षों में साफ करना असंभव है। माना जा रहा है कि भाजपा आगामी चुनावों में इसी मुद्दे पर आप को घेरेगी। भाजपा केजरीवाल सरकार पर एमसीडी को मिलने वाले फंड को रोकने का आरोप भी लगाती रही है। भाजपा के अन्य नेता ने कहा, अगर एमसीडी में हमारा मेयर होगा तो दिल्ली सरकार फिर से फंड को रोक देगी और विकास कार्य स्थगित हो जाएंगे। माना जा रहा है कि भाजपा ने यह रणनीति बनाई है कि अगर केजरीवाल सरकार अपने किए गए वादों को पूरा करने में असफल रहती है तो 2024 के लोकसभा एवं 2025 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को घेरने का अवसर मिल जाएगा।
एमसीडी में ‘आप’ की लहर
गौरतलब है कि एमसीडी में ‘आप’ ने भाजपा के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया है। एमसीडी के एकीकरण और परिसीमन के बाद हुए चुनाव में ‘आप’ को 134 वार्डों पर जीत मिली। वहीं भाजपा 104 सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस को 9 सीटें मिली और अन्य के खाते में 3 सीटें गई। दिल्ली नगर निगम में कुल 250 सीट है।