ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि अभी कोरोना की तीसरी लहर भी आनी बाकी है। ऐसे में केंद्र को राज्यों के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हम आज तैयारी करते हैं, तभी हम तीसरे चरण को संभाल सकेंगे।
वहीं केंद्र ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसने न्यायालय के आदेश का पालन किया और कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए दिल्ली को 700 मीट्रिक टन के बजाय 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की है। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली को 700 एमटी ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के आदेश का पालन नहीं करने के कारण दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने पर रोक लगा दी और बृहस्पतिवार सुबह केंद्र से जवाब मांगा।
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ को बताया कि चार मई को राष्ट्रीय राजधानी के 56 प्रमुख अस्पतालों में सर्वेक्षण किया गया और यह पता चला कि उनके पास लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) का अच्छा-खासा भंडार है।
अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर रोक लगाते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को यह स्पष्ट किया था कि वह उच्च न्यायालय को कोविड-19 प्रबंधन से संबंधित मामलों पर नजर रखने से नहीं रोक रहा है। उसने केंद्र और दिल्ली सरकार को गत शाम तक अधिकारियों के बीच वर्चुअल बैठक करने का भी निर्देश दिया था ताकि राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन आपूर्ति शुरू करने के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के इस जवाब पर कहा कि ऑक्सीजन के आवंटन का केंद्र सरकार का फॉर्म्युला दिल्ली के लिए ठीक नहीं है और इसमें बदलाव किया जाना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि आपको सिर्फ राज्यों को ऑक्सीजन का आवंटन करने की ही जरूरत नहीं है बल्कि उसे पहुंचाने की भी व्यवस्था की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर भी आने वाली है और हमें उसके मुताबिक पहले से तैयारी करने रखना होगा। बता दें कि केंद्र सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार ने बुधवार को कहा था कि देश में कोरोना की तीसरी लहर का आना तय है। यही नहीं उनका कहना था कि कोरोना से निपटने के लिए वैक्सीन्स को भी नए स्ट्रेन के लिहाज से अपडेट किया जाना चाहिए।