कोरोना वायरस जिसने महामारी का रूप धारण कर लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस खतरनाक बीमारी से पैदा हुए जोखिम के आकलन में गलती को स्वीकार किया है। चीन का वुहान शहर इस महामारी से पूरी तरह ग्रस्त हो चुका है। मौतों का आंकड़ा थम नहीं रहा है और अभी तक इसका फैलाव रुकता दिखाई नहीं दे रहा। स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए भारत में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। जिस बीमारी का कोई उपचार न ढूंढा गया हो, कोई इंजैक्शन या गोली ईजाद नहीं की गई हो तो इस स्थिति में सबसे कारगर रास्ता सतर्कता ही बचता है। बचाव ही एक बेहतर उपाय होता है। यही वजह है कि चीन से भारत लौटने वाले हर व्यक्ति की हवाई अड्डों पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई है ताकि अगर किसी व्यक्ति में संक्रमण हो तो पहले ही चरण में उसके उपचार की कोशिश की जा सके।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन नागरिक उड्डयन, गृह एवं पोत परिवहन मंत्रालय के साथ समन्वय कायम कर काम कर रहे हैं। डा. हर्षवर्धन को देश को पोलियो मुक्त करने का श्रेय प्राप्त है। दिल्ली के मंत्री रहते उन्होंने पोलियो उन्मूलन अभियान चलाया, जिसकी सफलता के बाद इस अभियान को पूरे देश भर में चलाया गया। जिस प्रकार 2014 में इबोला वायरस को सतर्कता के चलते भारत में दाखिल होने से रोक गया था, उसी तरह कोरोना वायरस को भी भारत से बाहर रखने का काम किया जा रहा है।कभी समय था कि हजारों लोग हैजा, पीलिया जैसी बीमारियों से मर जाते थे तब चिकित्सा जगत का इतना विकास नहीं हुआ था। लोग भी आज जितने जागरूक नहीं थे।
आज भारत काफी बदल चुका है। देश में उच्च स्तरीय चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध है। सेना ने भी चीन से आने वाले लगभग 600 छात्रों और अन्य भारतीयों को दिल्ली के छावला और हरियाणा के मानेसर कैम्प में ठहराने की व्यवस्था की है। चीन से 324 भारतीय यात्रियों का पहला दल विशेष विमान से दिल्ली आ चुका है। सभी भारतीयों को इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस की बिल्डिंग और इंडियन आर्म फोर्स मेडिकल सर्विसेज भवन में रखा जाएगा। दिल्ली और हरियाणा में बने अस्थाई कैम्प में ले जाने से पहले चीन से आने वाले सभी भारतीयों को दो सप्ताह तक रखने की व्यवस्था की गई है। इस दौरान यह सभी लोग अपने परिवार समेत किसी भी अन्य व्यक्ति से नहीं मिलेंगे। सेना द्वारा बनाए गए 600 बिस्तरों वाले अस्थाई केन्द्रों में विशेषज्ञों की टीम द्वारा निगरानी की जाएगी।
ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि चीन से आए भारतीयाें के शरीर में कोरोना वायरस का संक्रमण मौजूद रहा तो दो सप्ताह के दौरान उस वायरस की पहचान, रोकथाम और उपचार किया जा सके। अभी तक केरल में चीन से लौटे एक व्यक्ति के संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है। कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड के विश्लेषण में यही सामने आया है कि यह मनुष्यों को संक्रमित करने की क्षमता रखने वाले कोरोना वायरस की तुलना में सार्स के ज्यादा नजदीक है। भारत समेत दुनिया के 20 देशों में कोरोना वायरस के मामले सामने आए हैं। लोगों में खौफ का माहौल है। कोरोना वायरस के उद्गम स्थल चीन की सरकार भी महामारी से लड़ने की ठान चुकी है, चीन की सरकार हर वह कदम उठा रही है जो जरूरी है। कोरोना वायरस को लेकर कई तरह के भ्रम या मिथक फैल गए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस से मौत का खतरा करीब 20 फीसदी ही है तो यह मिथक ठीक नहीं है कि कोरोना वायरस होने पर मौत होना तय है। यह भ्रम भी फैला हुआ है कि आपके घर में पालतू जानवर से यह वायरस आपको संक्रमित कर सकता है। हालांकि यह वायरस कुत्ते या बिल्ली से भी फैल सकता है। ऐसे में जानवरों से सम्पर्क के बाद स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा ही जाना चाहिए। 2011 में स्टीवन सोडरवर्ग के निर्देशन में बनी फिल्म ‘कंटेजियन’ अब जबर्दस्त तरीके से वायरल हो रही है। इस फिल्म में एक खतरनाक वायरस के फैलने की कहानी दिखाई गई है। भारतीयों को यह फिल्म देखकर भयभीत होने की जरूरत नहीं है, बल्कि खुद सतर्क रहने और दूसरों को इसके बारे में जागरूक करने की जरूरत है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की सबसे बड़ी चिंता यही है कि यह वायरस खराब स्वास्थ्य सुविधाओं वाले गरीब देशों में न फैल जाए। अगर ऐसा होता है तो भयंकर परिणाम हाेंगे। भारतीयों को यह भी चाहिए कि चीन से आयातित खाद्य पदार्थों का सेवन भी नहीं करे। भारतीय परिस्थितियों में आम तौर पर सर्दी-जुकाम को एक सामान्य बीमारी की तरह लिया जाता है और लोग ज्यादा फिक्र नहीं करते। आज की परिस्थितियों में लापरवाही की जरा भी गुंजाइश नहीं है। जांच के बाद प्रभावित लोगों का अधिकतम सावधानी से उपचार ही एकमात्र उपाय है और केन्द्र सरकार ने इसकी व्यवस्था की है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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