जी-7ः भारत की बढ़ती साख - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

जी-7ः भारत की बढ़ती साख

जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है।

जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है। जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। यह समूह खुद को कम्युनिटी ऑफ वैल्यूस यानि मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है। स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और कानून का शासन, समृद्धि और सतत विकास इसके प्रमुख सिद्धांत हैं। पहले यह 6 देशों का समूह था। जिसकी पहली बैठक 1975 में हुई थी। इस बैठक में वैश्विक आर्थिक संकट के सम्भावित संसाधनों पर विचार किया गया था। फिर इस समूह में कनाडा शामिल हो गया और इस समूह के सदस्यों की संख्या सात हो गई। जी-7 देशों का सम्मेलन जर्मनी में हो रहा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस शिखर सम्मेलन में म्यूनिक पहुंच चुके हैं। जहां भारतीय समुदाय ने एक बार फिर मोदी-मोदी के नारे लगाकर उनका स्वागत किया। जी-7 सम्मेलन में भारत को नियमित रूप से आमंत्रित किया जा रहा है। हालांकि भारत इस समूह का सदस्य नहीं है। भारत को आमंत्रित किया जाना इस बात का प्रमाण है कि पश्चिमी देश यह मानने लगे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए  बहुत जरूरी है। इसलिए भारत को इसका भागीदार बनाया जाना जरूरी है।
 यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते तीन माह से ज्यादा का समय हो चुका है। पहले यह कहा जा रहा था कि यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस के ​खिलाफ  एक भी शब्द न बोलने पर जर्मनी खफा है और वह भारत को जी-7 सम्मेलन से दूर रखने पर विचार कर रहा है। लेकिन बाद में जर्मन सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया  था कि भारत को लेकर ऐसा कोई विचार नहीं है। संयुक्त राष्ट्र में रूस को मानवाधिकार परिषद से बाहर करने का प्रस्ताव लाया गया था तो भारत समेत पचास देशों ने मतदान से दूरी बना ली थी। इसके अलावा भारत ने रूस पर कोई प्रतिबंध भी नहीं लगाए हैं बल्कि भारत रूस से सस्ता तेल बड़े पैमाने पर खरीद रहा है और भारत अपनी सैन्य जरूरतें रूस से ही पूरी करता है। भारत अपना स्टैंड पहले ही पूरी तरह स्पष्ट कर चुका है। भारत क्वाड, 12 यूटू और ब्रिक्स जैसे कई अन्य विविध बहुपक्षीय समूहों में एक सक्रिय भागीदार के रूप में शामिल है। ऐसे में भारत को नजरंदाज करना पश्चिमी देशों के लिए काफी मुश्किल है। भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और इसीलिए वह जी-7 देशों के लिए  एक आदर्श भागीदार बन गया है।
शिखर सम्मेलन में पर्यावरण, ऊर्जा, जलवायु, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और लैंगिक समानता जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। इसके अलावा यूक्रेन-रूस युद्ध पर भी चर्चा होगी। दरअसल जर्मनी भारत के साथ मजबूत साझेदारी चाहता है। उसे भारत के साथ हरित ऊर्जा और  ऊर्जा परिवर्तन पर मजबूत साझेदारी की तलाश है। हाल ही में दिल्ली स्थित जर्मन दूतावास में डिप्टी  एम्बैसडर स्टीफन ग्रैबर ने पीवी पोर्ट का उद्घाटन किया था। इस मौके पर जर्मन इंटरनैशनल कॉर्पोरेशन के जीआईजैड ने सोलर मेक इन इंडिया की प्रस्तुति दी थी। शिखर सम्मेलन के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जर्मनी के चांसलर और अन्य मंत्रियों से मुलाकात होगी तब अक्षय ऊर्जा पर भी बातचीत होगी। जहां तक रूस-यूक्रेन युद्ध का सवाल है भारत का स्टैंड पूरी तरह से स्पष्ट है। प्रधानमंत्री की सम्मेलन में भाग लेने वाले अन्य देशों के राष्ट्र अध्यक्षों से भी द्विपक्षीय बातचीत होगी। इससे भारत और इस समूह के देशों से संबंधों को मजबूती मिलेगी। 
भारत की यह नीति हमेशा रही है कि मानवता को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत किया जाए। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-जर्मनी अन्तर्सरकारी परामर्श के लिए केन्द्रीय मंत्रियों के साथ मई महीने में जर्मनी का दौरा किया था। जब दोनों देशों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे। समझौतों के तहत भारत को स्वच्छ ऊर्जा का विस्तार करने के​ लिए 2030 तक 10 विलियन डॉलर की आर्थिक सहायता मिलनी है। जी-7 में भारत काे  न्यौता न केवल भारत की बढ़ती साख का प्रतीक है बल्कि उच्चस्तरीय राजनीतिक सम्पर्कों की परम्परा के अनुसार है। भारत ने रूस और यूक्रेन से बार-बार दुश्मनी को समाप्त करने और वार्ता के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया। जर्मनी के बाद प्रधानमंत्री संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा करेंगे। मोदी की यह यात्रा इस​लिए खास है क्योंकि भाजपा के दो प्रवक्ताओं द्वारा पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणियों को लेकर यूएई और अन्य मुस्लिम देशों ने  कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। मोदी की यात्रा से यूएई के नए राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिनन जायद की नाराजगी दूर होगी। वैसे भी यूएई भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है और हजारों भारतीय यूएई में कार्यरत हैं। 
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eighteen − seventeen =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।