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दक्षिण कोरिया के लिए भारत का महत्व

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दक्षिण कोरिया ने न केवल सियोल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया बल्कि उसने भारत को अपना विशेष रणनीतिक सांझीदार भी बना लिया है। दोनों देशों में कूटनीतिक सम्बन्ध काफी मजबूत हुए हैं। दोनों देशों में 7 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर भी हुए। दक्षिण कोरिया की पारम्परिक सहयोगियों की सूची में रूस, चीन, जापान और अमेरिका जैसे कुछ गिने-चुने देश ही हैं लेकिन अब दक्षिण कोरिया के सहयोगियों की सूची में भारत भी जुड़ गया है। दोनों देशों के रिश्तों में जो गहराई आई है, उन्हें ऐतिहासिक माना जाना चाहिए। भारत और दक्षिण कोरिया के रिश्तों की एक महत्वपूर्ण कड़ी भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या भी है। कोरिया के पौराणिक इतिहास में यह बात दर्ज है कि लगभग दो हजार साल पहले अयोध्या की राजकुमारी सूरीरत्ना अयोध्या से दक्षिण कोरिया के ग्योंगसांग प्रांत में स्थित किमहये शहर आई थीं।

मंदारिन भाषा में लिखे चीन के पौराणिक दस्तावेज में उल्लिखित कथा के अनुसार अयोध्या की राजकुमारी के पिता के स्वप्न में स्वयं ईश्वर प्रकट हुए और उन्होंने राजकुमारी के पिता से कहा कि वह अपनी बेटी को विवाह के लिए किमहये शहर भेजे, जहां सूरीरत्ना का विवाह राजकुमार सुरो के साथ सम्पन्न होगा। सूरीरत्ना का विवाह किमहये राजवंश के राजकुमार सुरो के साथ सम्पन्न हुआ। किमहये राजवंश के नाम पर ही वर्तमान कोरिया का नामकरण हुआ। कोरिया के लोग भी मानते हैं कि सूरीरत्ना और राजा सुरो के वंशजों ने ही 7वीं शताब्दी में कोरिया के विभिन्न राजघरानों की स्थापना की थी। इनके वंशजों को कारक वंश का नाम दिया गया जोकि कोरिया समेत विश्व के अलग-अलग देशों में उच्च पदों पर आसीन रहे। यूं तो कोरिया के इतिहास में अनेक महा​रानियों का उल्लेख है लेकिन सभी में से सूरीरत्ना को ही सबसे अधिक सम्माननीय माना गया जिसका कारण यह था कि उनकी जड़ें भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या से जुड़ी हुई थीं।

अयोध्या के शाही मिश्रा परिवार और कोरिया के कारक राजवंश के प्रतीक चिन्ह ‘दो मछलियां’ भी एक समान हैं। दक्षिण कोरिया में कारक वंश के लगभग 60 लाख लोग स्वयं को राजा सुरो और अयोध्या की राजकुमारी के वंशज बताते हैं। कोरिया और अयोध्या के बीच अजीब सा सौहार्दपूर्ण रिश्ता बना हुआ है। कोरिया में रहने वाले कारक वंश के लोगों का एक समूह हर साल फरवरी-मार्च के दौरान राजकुमारी सूरीरत्ना की मातृभूमि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने आता है। पिछले वर्ष नवम्बर में भारत ने दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति की पत्नी को आमंत्रित किया था। वे दीपावली के मौके पर बनारस और अयोध्या में आयोजित कार्यक्रमों में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुई थीं। दोनों देशों में सांस्कृतिक सम्बन्ध तो हैं ही वहीं पिछले कुछ वर्षों से दक्षिण कोरिया ने भारत की तरफ अपनी बांहें फैलाई हैं, उसके भी उचित कारण हैं। भारत और दक्षिण कोरिया के बीच राजनयिक सम्बन्धों की औपचारिक स्थापना वर्ष 1973 में हुई थी।

वर्ष 1974 में व्यापार संवर्धन और आर्थिक व तकनीकी सहयोग पर समझौता हुआ, उसके बाद अनेक समझौते हुए। पिछले वर्ष दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जेई और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोएडा में विश्व की सबसे बड़ी स्मार्टफोन फैक्टरी (सेमसंग) का उद्घाटन किया था। दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा 50 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने पर पहले ही सहमत हो चुके हैं जो वर्ष 2017-18 में 20 बिलियन डॉलर है। नवीनतम प्रौद्योगिकी से सम्पन्न दक्षिण कोरिया ने भारत के बुनियादी ढांचा विकास के लिए बड़ी आर्थिक मदद दी है। उसने स्मार्ट सिटी, सागरमाला जैसी योजनाओं के साथ ही बुनियादी ढांचा क्षेत्र से जुड़ी करीब आधा दर्जन परियोजनाओं के लिए 10 अरब डॉलर से ज्यादा की मदद दी। दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था पूरी तरह निर्यात पर आधारित है। उसकी कम्पनियों की विश्वव्यापी साख है। उसके सबसे बड़े निर्यातक देश चीन, रूस और अमेरिका रहे हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यूक्रेन विवाद के चलते रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते उसका रूस को निर्यात कम हो गया। अमेरिका ने चीन के उत्पादों पर शुल्क लगाया ​जिससे चीन भी प्रभावित हुआ।

चीन की अर्थव्यवस्था के ​प्रभावित होने से दक्षिण कोरिया का निर्यात भी कम हुआ। चीन में कोरियाई कम्पनी सेमसंग आैर ऑटो कम्पनी हुंदेई तक के मुनाफे में लगातार गिरावट देखी गई। जब अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाकर उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया सीमा पर मिसाइल रक्षा प्रणाली थाड को तैनात किया था तो चीन ने दक्षिण कोरिया पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिए थे। दक्षिण कोरिया को चीन आैर रूस पर निर्भरता कम करने के लिए नए बाजार की जरूरत थी, इसलिए उसने भारतीय बाजार पर फोकस करना शुरू कर दिया। भारत से करीबी का फायदा दक्षिण कोरिया को भी मिला। पिछले तीन वर्षों में भारत के इलैक्ट्रोनिक्स, रसायन, ऑटोमोबाइल्स, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण और अन्य उद्योगों में लगभग 3.5 अरब डॉलर का निवेश हुआ। नागपुर-मुम्बई सुपर कम्युनिकेशन एक्सप्रैस वे, कल्याण-डोंबिवली स्मार्ट सिटी, बांद्रा की सरकारी कालोनी के पुनर्निर्माण जैसे तीन मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजैक्ट में भी दक्षिण कोरिया महत्वपूर्ण भागीदारी निभा रहा है। दक्षिण कोरिया और भारत एक-दूसरे के लिए काफी महत्वपूर्ण बन गए हैं यानी दोनों देश एक-दूजे के लिए ही बन चुके हैं।

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