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पुलिस वालों के भी दिल हैं, परिवार हैं…

आज अगर हम चैन की नींद सोते हैं तो सरहदों पर सैनिकों की वजह से, जो देश की बाहरी सुरक्षा करते हैं और इसी तरह आंतरिक सुरक्षा देश की पुलिस के हाथों में है।

आज अगर हम चैन की नींद सोते हैं तो सरहदों पर सैनिकों की वजह से, जो देश की बाहरी सुरक्षा करते हैं और इसी तरह आंतरिक सुरक्षा देश की पुलिस के हाथों में है। सर्दी, तूफान, बाढ़ या कोई भी आपदा आ जाए यह लोग इतने कर्त्तव्यशील होते हैं कि हमेशा ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। हम सभी लोग अपने घरों में त्यौहार ​दिवाली, लोहड़ी मनाते हैं, परन्तु यह लोग चाहे सरहदों पर सैनिक हों, सुरक्षा पर तैनात बीएसएफ, सीआरपीएफ या स्थानीय पुलिस हमेशा हम सबकी सुरक्षा में लगे रहते हैं। इनकी वर्दी में इतनी ताकत है कि इन्हें देखकर हम अपने आपको सुरक्षित महसूस करते हैं।
क्या कभी हमने इस बात पर सोचा कि इनके भी दिल हैं, इनके भी परिवार हैं, इनके घर भी दुःख-सुख है। ये कितना बड़ा दिल रखते हैं, कितनी देशभक्ति है। यह अपने परिवारों, बच्चों, मां-बाप से दूर रहकर क्या नहीं सहते और बहादुरी दिखाते रहते हैं? सरहद की रक्षा करते, संसद की रक्षा करते (पुलिस) शहीद हो जाते हैं।  क्या इनके परिवारों से कोई जाकर उनका दुःख-दर्द महसूस करता है या बांटता है?
कितने शर्म की बात है कि पिछले दिनों दिल्ली पुलिस के एक एएसआई श्री शंभू दयाल जी की एक मामूली से चोर-उच्चके ने चाकू के दर्जनों प्रहार करते हुए सार्वजनिक तौर पर हत्या कर दी और ऐसे ही पंजाब पुलिस के जवान कुलदीप सिंह उर्फ कमल बाजवा को गोली से मार डाला। चाहे कश्मीर, पंजाब, दिल्ली, नक्सलवादी क्षेत्र में हजारों बार पुलिस कर्मचारी एनकाउंटर करते मारे जाते हैं। कई बार तो जवानों की उम्र देखकर दिल दहल जाता है। 16-16 घंटे ड्यूटी कर यह अपना फर्ज निभाते हैं, परन्तु कभी यह अकेले फंस जाएं जैसे शंभू दयाल जी को लोग उन्हें बचाने  की बजाय उनकी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में डाल रहे हैं। कितने शर्म की बात है। मेरी पूरी सहनुभूति सेना और पुलिस के साथ है। यहां तक कि मैं उनको नमन करती हूं, सैल्यूट करती हूं।
साथ में मैं यह भी कहना चाहूंगी कि दिल्ली में जो पीछे घटनाएं हुई जिनमें एक लड़की कई घंटे मौत से लड़ते हुए मारी गई या आज की तारीख में दिल्ली की सड़कों पर अक्सर चोर-उच्चके, जेबकतरे, समैकिये घूम रहे हैं और वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, उन से दिल्ली पुलिस को अलर्ट करना चाहूंगी कि कहीं न कहीं उनसे गलतियां हो रही हैं। दिल्ली पुलिस की वर्दी का लोगों में इतना खौफ होना चाहिए कि यह लोग किसी का नुक्सान न कर सकें। पिछले दिनों हमारे कर्मचारियों को ड्यूटी से वापिस घर जाते कुछ समैकियों ने चाकू से वार कर अस्पताल पहुंचा दिया। ऐसे समय पुलिस कहां होती है।  क्यों नहीं इन लोगों को पुलिस का खौफ है। कुछ पुलिस कर्मचारियों के आलस और गैर जिम्मेदारी के कारण सारी पुलिस बदनाम हो जाती है और बहुत सी घटनाएं हो जाती हैं।
दिल्ली पुलिस को चाहिए हर समय अलर्ट रहे। समय-समय पीसीआर वैन सड़कों पर घूमती नजर आनी चाहिए। चारों तरफ सीसीटीवी कैमरे हों, पुलिस अलर्ट हो, हमेशा हर कोने-कोने पर पहरा हो। दिल्ली की सड़कों पर पुलिस मुस्तैदी  से घूमती नजर आए। इज्जतदार लोग दिल्ली पुलिस को सम्मान की नजर से देखें कि यह उनकी रक्षा कर रहे हैं और गुंडे, चोर, मवाली उनसे खौफ महसूस करें, तभी सभी लोगों की सुरक्षा हो सकती है।
दिल्ली में चारों तरफ समैकिये फैले हुए हैं, जिन्हें होश नहीं होती और जो अपने थोड़े से नशे के​ लिए भी वार कर  देते हैं, लूट लेते हैं। मेरे ससुर जी के नाम पर एक चौक है, उनकी मूर्ति लगी है, साल में 7-8 बार तो उनकी लोहे की जाली चोरी हो जाती है। यही नहीं पंजाब केसरी की बिल्डिंग पर कई बार तारें चोरी करने के लिए चढ़ने की कोशिश करते हैं। अगर हमारा यह हाल है तो आम लोगों की क्या सुरक्षा हो रही होगी?
तो दिल्ली पुलिस से यही कहेंगे कि हम आपके साथ हैं, परन्तु लोगों के अन्दर सुरक्षा की भावना पैदा कीजिए। 90 प्रतिशत पुलिसकर्मी बहुत कर्त्तव्यशील हैं, 10 प्रतिशत ऐसे हैं जो अपने कारण पुलिस को बदनाम कर देते हैं। सो अंत में यही कहूंगी दिल्ली पुलिस अलर्ट हो, लोगों में सुरक्षा की भावना भरे, आपकी वर्दी में बहुत ताकत है, उस ताकत को दिखाएं। चोर, डाकू, मवाली आपसे डरें, कोई गुंडा किसी लड़की की इज्जत पर हाथ डालने से पहले आपके डर से कांप जाए, ऐसा माहौल पैदा करें।

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