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प्रधानमंत्री की दो टूक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के जवाब में अपने अब तक के 10 वर्ष के कार्यकाल की उप​लब्धियों का संक्षिप्त उल्लेख किया लेकिन वह पहले से ही कमजोर कांग्रेस को निशाना बनाने से नहीं चूके। आम चुनावों से पहले प्रधानमंत्री का राज्यसभा में यह अंतिम भाषण था। इसमें कोई संदेह नहीं कि उनका भाषण चुनावों के दृष्टिगत ही रहा। मोदी आम चुनावों से पहले आत्मविश्वास से भरे हुए दिखाई दिए। इससे साफ है कि वह अपने विकास के विजन को कहीं से भी छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। उनकी सरकार का इरादा अपने तीसरे टर्म में भारत को विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना और देश को विकसित देश बनाने की राह पर अग्रसर करना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा और राज्यसभा में ​दिए गए जवाब में विपक्ष की आलोचनाओं का चुन-चुनकर जवाब दिया। यह उनकी वाकपटुता ही है कि उनके शब्दों का विपक्ष के पास कोई ठोस उत्तर भी सुनने को नहीं ​​मिला। प्रधानमंत्री ने जिन मुद्दों पर विपक्ष उनकी आलोचना करता है ​उन मुद्दों को ही अपना हथियार बना डाला।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो कुछ भी कहा उसके गहरे राजनीतिक अर्थ हैं। लोकसभा में उन्होंने कहा था कि एनडीए इस बार 400 पार सीटें हासिल करेगी जबकि राज्यसभा में उन्होंने एक तरह से कांग्रेस को 40 सीटें जीतने तक की चुनौती दे डाली। प्रधानमंत्री जानते हैं कि आम चुनावों में कांग्रेस भाजपा के मुकाबले कहीं टिकती नजर नहीं आ रही लेकिन वह यह भी जानते हैं कि विपक्ष को कभी कम नहीं आंकना चाहिए। चुनावी मैदान की ओर कूच करने से पहले उन्होंने कांग्रेस को जमकर घेरा और तीखे शब्दबाण चलाए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दो दिन पहले ही आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा खत्म करने की वकालत की थी और कहा था कि सत्ता में आने पर कांग्रेस आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा खत्म कर देगी। कांग्रेस पार्टी भी ओबीसी, एससी-एसटी आरक्षण बढ़ाने की बात कर रही है। प्रधानमंत्री ने इसे ही अपना हथियार बनाते हुए देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का पत्र पढ़कर उनके आरक्षण विरोध को उजागर किया। साथ ही बाबा साहेब अम्बेडकर से लेकर पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और अति पिछड़े वर्ग के सीताराम केसरी के अपमान को लेकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने ओबीसी को पूरी तरह आरक्षण नहीं दिया। उसने सामान्य वर्ग के गरीबों को कभी आरक्षण नहीं दिया। जिसने बाबा साहेब को भारत रत्न के योग्य नहीं माना। अपने ही परिवार को भारत रत्न देते रहे, उन्हें हमें सामाजिक न्याय का उपदेश देने का कोई हक नहीं है। उन्होंने देश के विकास का विजन स्पष्ट करते हुए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को सीधे-सीधे जिम्मेदार ठहराया और उन सार्वजनिक कम्पनियों का उल्लेख किया जो यूपीए शासन के दौरान खस्ता हालत में आ गई थीं। प्रधानमंत्री ने सीधा सवाल किया कि एमटीएनएल, बीएसएनएल और एयर इंडिया को किसने बर्बाद किया। उन्होंने कहा कि यूपीए शासन में बीमार हो चुकी सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियां रिकार्ड तोड़ मुनाफा दे रही हैं। निवेशकों का भरोसा बढ़ा है और देश में सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियां बढ़कर 254 हो गई हैं। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर देश को उत्तर और दक्षिण भारत में बांटने की कोशिश करने का आरोप लगाया। आतंकवाद और अलगाववाद तथा नक्सलवाद को लेकर भी कांग्रेस पर जमकर हमले किए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और पूर्वोत्तर में शांति स्थापित होने का उल्लेख भी किया। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री ने चुनावी खाका खींचा। अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए भाजपा ने विकास और विरासत के एजैंडे को अपनाया है।
प्रधानमंत्री मोदी लगातार यह कह रहे हैं कि कोई भी देश अपनी संस्कृति और परम्परा के संरक्षण को महत्व दिए बिना विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता। एक तरफ सरकार अपने तीर्थों के उस गौरव को वापिस लाई है जिसे पहले की सरकारों ने भुला ​दिया था। उनका इशारा राम मंदिर, काशी कॉरिडोर और गोवाहाटी में प्रस्तावित कामाख्या मंदिर गलियारा परियोजना की तरफ है। प्रधानमंत्री विपक्षी दलों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाए रखने के​लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे और साथ ही एनडीए का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। चन्द्रबाबू नायडू की तेलगूदेशम और पंजाब में अकाली दल बादल की एनडीए में वापसी तय हो चुकी है। जनता दल यू के नीतीश कुमार पहले ही पाला बदलकर भाजपा खेमे में आ चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कद इतना ऊंचा हो चुका है कि उनका ​विकल्प नजर नहीं आ रहा। 2024 के चुनावों में उनके सामने सभी बौने सा​​बित होंगे। जी-20 शिखर सम्मेलन की कामयाबी ने बता दिया है कि भारत की संस्कृति, विविधता और सभ्यता वैश्विक स्तर पर फिर से नया जीवन ले रही है। भारत वैश्विक मंच पर मजबूत शिखर के रूप में उभरा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक स्टेट्समैन के रूप में समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं।

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