पूर्वोत्तर भारत में सुरक्षा की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक अप्रैल से नगालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल अधिनियम (अफस्पा) के तहत आने वाले अशांत क्षेत्रों की संख्या में कमी लाने की घोषणा की है। असम में अफस्पा को 8 जिलों तक सीमित किया गया है। जबकि मणिपुर में चार थाना क्षेत्रों में अफस्पा हटा दिया गया है और नगालैंड में तीन थाना क्षेत्रों में इसे कम किया गया है। पूर्वात्तर के राज्यों में अशांत क्षेत्रों का कम होना इस बात का संकेत है कि जिन राज्यों में कभी खून-खराबा होता रहता था वहां अब काफी शांति है। वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2022 में उग्रवादी घटनाओं में 76 फीसदी की कमी आई है। इसी प्रकार इस अवधि में सुरक्षा कर्मियों और नागरिकों की मौतों में क्रमश: 90 फीसदी और 97 फीसदी कमी आई है। इसमें कोई संदेह नहीं कि केन्द्र में नरेंद्र मोदी की सरकार के सत्ता में आने के बाद जिस तरह से पूर्वोत्तर की सुरक्षा,शांति और विकास काे प्राथमिकता दी गई है उसके परिणाम स्वरूप यह क्षेत्र आज तेजी से शांति और विकास के पथ पर अग्रसर है। गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर राज्यों में शांति स्थापित करने के लिए काफी काम िकया है। जिसका पूरा असर अब देखने को मिल रहा है।
पिछले चार वर्षों में पूर्वोत्तर राज्यों में कई शांति समझौते लागू किए गए हैं क्योंकि अधिकांश चरमपंथी समूहों ने हथियार डालकर और पूर्वोत्तर की शांति और विकास में भागीदार बनकर देश के संविधान और सरकार की नीतियों में विश्वास व्यक्त किया है। 2014 से अब तक लगभग 7,000 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। पिछले चार वर्षों के दौरान गृह मंत्रालय ने कई ऐतिहासिक समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए हैं, जिनसे दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान हुआ है। अगस्त, 2019 में त्रिपुरा में एनएलएफटी (एसडी) के साथ विद्रोहियों को मुख्यधारा में लाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। जनवरी, 2020 के बोडो समझौते ने असम की पांच दशक पुरानी बोडो समस्या का समाधान कर दिया है। जनवरी, 2020 में दशकों पुराने ब्रू-रियांग शरणार्थी संकट को हल करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत आंतरिक रूप में विस्थापित 37,000 लोगों को त्रिपुरा में फिर से बसाया जा रहा है।
सितम्बर 2021 के कार्वी-एंगलोंग समझौते से असम के कार्वी क्षेत्र में लंबे समय से चले आ रहे विवाद का समाधान हो गया है। सितम्बर 2022 में असम के आदिवासी समूह के साथ एक समझौता भी किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्रालय पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र को उग्रवाद मुक्त क्षेत्र बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। विकास की पहली शर्त शांति होती है। यही कारण है कि हाल ही में हुए पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनावों में भाजपा और उसके गठबंधन को फिर से सत्ता हासिल हो गई है। मेघालय में भाजपा की सहयोगी एनपीसी फिर से सत्ता में आ चुकी है। नगालैंड में तो भाजपा गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला है आैर त्रिपुरा में भाजपा ने दुबारा भगवा परचम लहरा दिया है। जनता ने कांग्रेस और वामपंथी गठबंधन को धूल चटा दी है। पिछले वर्ष ही असम में भाजपा अपने दम पर दोबारा सरकार बनाने में सफल हुई थी। जो असम बार-बार हिंसा की आग से जल उठता था, जिन राज्यों में विद्रोहियों का आतंक कायम था और राज्य सरकारें पांच वर्ष भी पूरा नहीं कर पाती थी या फिर हर पांच साल बाद सरकार बदल जाती थी वहां ऐसा क्या हो रहा है कि जनता अब भाजपा और उसके गठबंधन की पार्टियों पर भरासा जता रही है। जब से पूर्वोत्तर के प्रति सरकार की सोच बदली है तब से ही पूर्वोत्तर के प्रति सरकार की सोच बदली है अब पूर्वोत्तर भारत के विकास का गेटवे बन रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 51 बार पूर्वोत्तर के राज्यों का दौरा किया है। ऐसा पहले किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया। हर 15 दिन में कोई न कोई केन्द्रीय मंत्री पूर्वोत्तर के दौरे पर जाते रहे हैं। इससे वहां विकास को गति मिली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संबोधनों में पूर्वोत्तर को अष्टलक्ष्मी बताते रहे हैं और इन राज्यों में विकास कनैक्टिविटी, बुनियादी ढांचे का विकास, आईटी, औद्योगिक विकास, स्पोर्ट्स, निवेश और जैविक खेती का बड़ा हब बनाया गया है। हाईवे, रेलवे और एयरवे के विकास पर जोर देने से पूर्वोत्तर राज्यों और दिल्ली के बीच दूरियां लगभग खत्म हो गई हैं। आदिवासी क्षेत्रों में एकलव्य मॉडल स्कूल बनाए जा रहे हैं। पर्वत माला योजना के तहत पर्यटन स्थलों पर सुविधाओं का विकास किया गया है जिससे पर्यटन का विकास हो रहा है। सीमांत क्षेत्रों में सड़कें बनाई जा रही हैं। ताकि दुश्मन से कोई भी खतरा होने पर सेना काे तुरंत भेजा जा सके और उन्हें तुरंत हथियारों की सप्लाई की जा सके। केन्द्र सरकार वहां सभी समुदायों और इलाकों के बीच हर प्रकार की खाई को पाटने का प्रयास कर रही है और आदिवासी क्षेत्रों में उनकी संस्कृति को बरकरार रखते हुए वहां विकास किया जा रहा है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में पिछले 6 वर्षों के दौरान कृषि उत्पादों के निर्यात में 85 फीसदी बढ़ौतरी दर्ज की गई है और वहां से भी उद्यमी निर्यातक और किसान उत्पादक संगठन फलफूल रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों को पहला गांव मानकर काम किया गया है। पूर्वोत्तर के युवा राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं और वह दिन दूर नहीं है कि अफस्पा को एक दिन पूरी तरह से हटा लिया जाए। अफस्पा ऐसा कानून है जो सशस्त्र बलों को व्यापक अधिकार देता है इस कानून का दुरुपयोग भी होता रहा है और लोग इसे लम्बे अर्से से हटाने की मांग भी करते आ रहे हैं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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