राजनीति एक सम्पूर्ण व्यवस्था है, जिसका मूल उद्देश्य लोकहित होता है और राजनीति की सफलता जनता की खुशहाली पर निर्भर करती है। राजनीति में जनता एक सेवक का चुनाव करती है, ऐसा सेवक जिसे जनता की समस्याओं आैर उसकी पीड़ा का अहसास होता है लेकिन ये सभी बातें केवल परिभाषित करने मात्र ही हैं जिनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं है। आज अधिकांश नेताओं के लिए राजनीति का मतलब चुनाव जीतकर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचना है और फिर केवल अपना हित साधना है। आज के नेता सेवक नहीं, शक्ति के मदहोश में अकुशल राजा बन गए हैं, जो अपना कर्त्तव्य भूल बैठे हैं। राजनीति न ही आकाश से उतरी हुई कोई व्यवस्था है और न ही राजनेता आकाश से उतरे कोई राजदूत। राजनेता भी अपनों के ही बीच का आदमी होता है।
आलम यह है कि जहां भी राजनीति का जिक्र होता है वहां अपने आप भ्रष्टाचार भी मुंह खोलता है और यह साफ कर देता है कि राजनीति और भ्रष्टाचार कभी न खत्म होने वाला रिश्ता है। आजादी के बाद से ही भारत की अर्थव्यवस्था राशनिंग, लाइसेंस, परमिट, लालफीताशाही में जकड़ी रही। लाइसेंस-परमिट राज था तब भी लाइसेंस या परमिट पाने के लिए व्यापारी आैर उद्योगपति रिश्वत दिया करते थे। 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण और वैश्वीकरण की विश्वव्यापी राजनीति-अर्थशास्त्र से जोड़ा गया। तब तक सोवियत संघ का साम्यवादी महासंघ बिखर चुका था। पूर्वी यूरोप के अधिकांश देश पूंजीवादी विश्व व्यवस्था का अंग बनने की प्रक्रिया की प्रसव पीड़ा से गुजर चुके थे। जब से देश में वैश्वीकरण, निजीकरण, उदारीकरण, विदेशीकरण, बाजारीकरण अैर विनियमन की नीतियां आईं तब से घोटालों की बाढ़ आ गई। तब से लेकर आज तक राजनीति और भ्रष्टाचार को एक ही नजरिये से देखा आैर समझा जाने लगा। राजनीतिज्ञों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं आैर घोटालों की परतें भी खुलती रही हैं। अलग-अलग मुख्यमंत्रियों पर भी घोटालों के आरोप लगते रहे हैं। अब भ्रष्टाचार के आरोपी मुख्यमंत्रियों की सूची में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीसामी का नाम भी जुड़ गया है।
मद्रास हाईकोर्ट ने सीबीआई को उनके खिलाफ सड़कों का ठेका देने में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था। सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय द्वारा रिपोर्ट पेश करने के बाद विपक्षी पार्टी डीएमके ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए। आरोप लगाया गया है कि 3500 करोड़ रुपए की पिरयोजनाओं को अपने रिश्तेदारों में बांटने के लिए पलानीसामी ने सत्ता का दुरुपयोग किया है। सच क्या है और झूठ क्या, इसका पता तो सीबीआई ही लगाएगी लेकिन अब तो सीबीआई की जांच पर सवाल उठते देर नहीं लगती। हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह भ्रष्टाचार के मामले में मुकद्दमे का सामना कर रहे हैं। वीरभद्र सिंह हिमाचल के 5 बार मुख्यमंत्री रहे हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला आैर उनका बेटा शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल में सजा भुगत रहे हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री और केन्द्र में रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव भी जेल में बन्द हैं आैर उनका पूरा पिरवार जांच का सामना कर रहा है। कभी खेत में मजदूरी करने वाले मधु कोड़ा निर्दलीय होते हुए भी झारखंड के पांचवें मुख्यमंत्री बन गए थे। वह केवल 707 दिन तक मुख्यमंत्री रहे इन 23 महीनों में उन्होंने राज्य की सम्पदा ही बेच डाली। कोल ब्लॉक निजी कम्पनियों को देने में बड़ा घोटाला किया गया। अदालत ने उन्हें, उनके निजी सचिव को 3 वर्ष की कैद की सजा सुनाई थी। कर्नाटक के भाजपा नेता येदियुरप्पा, छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी मुख्यमंत्री के तौर पर पद पर रहते अजित जोगी को भ्रष्टाचार के आरोपों में पद छोड़ना पड़ा था। समय-समय पर कई केन्द्रीय और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते त्यागपत्र देना पड़ा था। तमिलनाडु में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी जयललिता को भी पद छोड़ना पड़ा था। अम्मा जयललिता के जमाने में आे. पनीरसेल्वम उनके विश्वासपात्र थे, वैसे ही पलानीसामी जेल में भ्रष्टाचार के आरोपों की सजा भुगत रही जयललिता की अंतरंग सहेली रही शशिकला के लिए है।
अम्मा जयललिता की मौत के बाद शशिकला मुख्यमंत्री पद पर पहुंचने ही वाली थी कि कोर्ट ने उन्हें सजा सुना दी। हाई प्रोफाइल नाटक के बाद शशिकला के जेल जाने के बाद उनकी कठपुतली पलानीसामी को संख्या बल के आधार पर राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। कठपुतली की डोर किसी के हाथ में होती है आैर वह अपने हिसाब से नचाता ही है। जब कठपुतलियां खुद सशक्त हो जाती हैं तो वह अपना खेल खेलती हैं और दूसरों काे नचाने लगती हैं। बाद में मुख्यमंत्री की दावेदारी कर रहे पनीरसेल्वम पलानीसामी गुट के साथ समझौता कर उपमुख्यमंत्री बन गए और दोनों ने आपस में मिलकर शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनकरन को बाहर का रास्ता दिखा दिया। आर.के. नगर से चुनाव जीतने के बाद दिनाकरन दावा कर रहे हैं कि अम्मा जयललिता के असली वारिस वे ही हैं। तमिलनाडु का इतिहास राजनीति में भ्रष्टाचार का रहा है। पलानीसामी की राह आसान नहीं। दागी मुख्यमंत्री, दागी मंत्री, दागी सांसद देश के समक्ष बड़ी चुनौती रहे हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा था, उसने भी गेंद संसद की तरफ सरका दी कि इस सम्बन्ध में कानून बनाने का काम संसद का है। राजनीति में घोटालों के मगरमच्छ ही पैदा हो रहे हैं।
‘‘स्वार्थ सिन्धू में तैरते मगरमच्छ के बाप,
जनता मछली कर रही है, खुद मरने का जाप।’’