आज अमर शहीद लाला जगत नारायण जी का ‘38वां शहीदी दिवस’ है इस बार जब 12 मई को अमर शहीद रोमेश चन्द्र जी का शहीदी दिवस था तो एक केन्द्रीय मन्त्री ने कहा था किरण जी यह बहुत बड़ी बात है कि इतने सालों तक आप उनका ‘श्रद्धांजलि दिवस’ लोगों की भलाई के लिए मनाते हो तो मैंने झट से उन्हें कहा आज हम जो भी हैं सब उनकी कड़ी मेहनत और शहीदी के कारण है जो भी आज ‘पंजाब केसरी’ हिन्द समाचार जगबानी का नाम है उनकी सालों की कड़ी मेहनत है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता उनके आशीर्वाद और नाम के साथ और दिखाये हुये मार्ग पर चलते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं।
यही नहीं पिछले दिनों मुझे अश्विनी जी के कज़न ने मैसेज किया कि एक को 37 साल हो गये और एक को 34 साल हो गये अभी भी आप उनकी फोटो लगाते हो उनका ‘श्रद्धांजलि दिवस’ मनाते हो अब तो जो कुछ है उनकी स्वयं उनके पिताजी की मेहनत है मुझे उस नासमझ भाई की बात पढक़र हैरानगी हुई (क्योंकि उसके साथ मेरा भी बहुत स्नेह है परन्तु पैसे से उसकी सोच बदल गई अहंकार आ गया है मैं प्रभु से प्रार्थना करती हूँ ऐसे लोगों को सदïबुद्धि दे) भले ही उनके पिताजी की मेहनत और अच्छी बातें जिसमें उन्होंने साथ दिया और हर दिवाली पर हवन करना सिखाया, मैं कभी नहीं भूलती न भूलूंगी परन्तु (जो अच्छा नहीं किया वो हमेशा जिन्दगी में पल-पल याद रहता है मेरा मानना है कि हम लाला जी और रोमेश जी के बिना ‘पंजाब केसरी’ कुछ भी नहीं जैसे देश की आज़ादी का कहीं भी जिक्र होगा तो महात्मा गांधी, पटेल, नेहरू, सुभाषचन्द्र बोस, भगत सिंह, राजगुरु का नाम हमेशा लिया जायेगा।
मंगल पांडे, महारानी झांसी रानी को याद किया जायेगा और बहुत से गुमनाम नायक हैं जिनको भुलाया नहीं जा सकता और उनको याद रखने का यह भी मतलब है कि हमारे ज़ेहन में हमेशा यह रहे कि हमें आज़ादी किसकी मेहनत से, किसके त्याग से मिली वैसे ही हमारी ‘पंजाब केसरी’ लाला जी और रोमेश के नाम, मेहनत और त्याग के साथ ही हमेशा जानी जायेगी, हां पंजाब में सब लोगों को मालूम है परन्तु दिल्ली हम खूब मेहनत करके काम करके उनके दिखाये रास्ते और उनके नाम से आगे बढ़े क्योंकि यहां मैट्रोपोलिटन सिटी है। लोग बाहर से भी हैं इनको नहीं मालूम था।
यहां तक आदित्य को नर्सरी स्कूल में दाखिल करने में मुश्किल आई थी उस समय दिल्ली के लोगों की उग्रवाद के बारे मालूम ही नहीं था यही नहीं अश्विनी जी ने मदन लाल खुराना जी के सहयोग से लाला जगत नारायण चौक और रोमेश चन्द्र चौक बनाया और जब हम ऑफिस से निकलते हैं तो दोनों को देखकर ऐसे लगता है हमेशा हमारे साथ और हमें आशीर्वाद दे रहे हैं साथ में मैं ही घर की सिर्फ एकमात्र बहू और पौत्रवधू हूं जिसको उनका सान्निध्य और आशीर्वाद मिला, मैंने उनका प्यार देखा, रौब भी देखा, उनके जीवन के सिद्धांत भी देखे परन्तु वह ज़मीन से जुड़े थे और सबको साथ लेकर परिवार को एकजुट रख कर देश के लिए चलते थे यहाँ तक कि मुझसे एक केन्द्रीय मंत्री की पत्नी ने भी यही कहा कि मेरे मन में इतने सालों के बाद भी बहुत इज्जत है क्योंकि उन दोनों ने देश और समाज फिर परिवार के लिए बहुत कुछ किया, इज्जत भाव, मान-सम्मान सभी उन्हीं की खातिर, बाकि जो बचे रह गये उन्होंने तो परिवार को खराब किया, बड़प्पन बिल्कुल नहीं दिखाया।
सो मुझे और मेरे पूरे परिवार को गर्व है कि हम जो कुछ हैं उनके कारण हैं ‘पंजाब केसरी’ उनकी मेहनत और उनके मार्गदर्शन पर चलती है ‘वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब’ लाला जी के एक अधूरे सपने को पूरा करने का प्रयास वो एक खुशहाल परिवार में से थे परन्तु जब उनकी पत्नी का देहांत हो गया तो वह एक बहुत अकेलापन महसूस करते थे और बहुत से समाज और देश के बुजुर्ग लोग उनसे आकर बात करते थे तो उन्होंने अपने आखिरी समय ‘जीवन संध्या सीरीज’ लिखी और वो चाहते थे कि देश में बुजुर्गों के लिए कुछ होना चाहिए ताकि वह घर और समाज में सम्मानित जीवन व्यतीत कर सकें, सुबह की 4.30 बजे चाय और शाम की चाय और पकौड़े मेरे हाथ से लेते थे अभी भी मम्मी, आंटी और सारा परिवार उनकी बहुत सेवा करता था परन्तु उन्हें मूल से ज्यादा प्यारा ब्याज (यानि मैं और अश्विनी जी) यहां तक कि वह रोज कहीं न कहीं दौरे पर जाते थे और आलू मटर की सब्जी और परांठे मैं ही बनाकर पैक करती थी, थोड़े समय में उन्होंने मुझे हज़ारों साल के बराबर प्यार, सम्मान और संस्कार दिये।
इतने सालों में पहली बार मैं यहां नहीं होऊंगी क्योंकि एकल विद्यालय की तरफ से विदेश में ‘बैस्ट स्पोर्टिव अवार्ड’ दिया जा रहा है परन्तु 9 सितम्बर को नरेला ब्रांच के द्वारा लाला जी को श्रद्धांजलि दी जायेगी। नरेला ब्रांच के द्वारा आर्य समाज मन्दिर में बहुत बड़ा हैल्थ कैम्प ‘इंटरनेशल पंजाबी फोरम’ द्वारा लगाया जाएगा जिसमें बुजुर्गों को नि:शुल्क चश्में और ‘हियरिंग एड’ बांटी जायेंगी और सारे टैस्ट किये जायेंगे। जाने से पहले जो हर महीने वरिष्ठï नागरिक केसरी क्लब के जरूरतमंद सदस्यों को अडॉप्शन के जरिये आर्थिक सहायता और सामान बांटा जाता है। मैं और अश्विनी जी बांटकर जायेंगे और 9 तारीख यानी आज आदित्य, सोनम अपने बच्चों और स्टाफ के साथ श्रद्धांजलि देंगे। जयपुर सहित देश के अन्य स्थानों पर सच्चे सपूत को याद किया जायेगा।