पिछले दिनों जब चंडीगढ़ होस्टल का किस्सा सामने आया तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि एक लड़की भी ऐसा कर सकती है। कहां जा रही है नैतिकता और चरित्र? यह लड़की अपना या दूसरी लड़कियों के एमएमएस बनाकर अपने ब्वाय फ्रैंड को भेज रही थी। क्या एक मिनट भी इसके मन में नहीं आया होगा कि वो कितना गलत काम कर रही है या उसका ब्वाय फ्रैंड उससे कितना गलत काम करवा रहा है। या तो उसका प्यार अंधा या मतलबी था, क्योंकि आज की युवा पीढ़ी भौतिक सुुखों के लिए कुछ भी कर सकती है। इस उम्र में उन्हें अच्छे-बुरे की पहचान कम होती है। या किसी गलत काम के नतीजे क्या होंगे नहीं सोचते।
यही नहीं एक डाक्टर मित्र को उसकी गर्ल फ्रैंड जो उसके साथ रह रही थी उसने उसके प्यार में अपनी वीडियो उसको बनाकर दी थी और उसने किसी लड़की के नाम पर अपना एकाउंट बनाकर फेसबुक पेज पर अपलोड कर अपने दोस्तों को बेची, जिससे जब उस लड़की को समझ लगी तो उसने अपने ब्वाय फ्रैंड को जो उसके साथ रह रहा था उसे मार डाला। हे भगवान नैतिकता कहां जा रही है, कोई नैतिक मूल्य नहीं है। प्यार एक पवित्र शब्द है, पवित्र भावना है, जिन्दगी का एक मीठा अहसास है, जिसे किस कारण इस्तेमाल किया जा रहा है।
यही नहीं आज सारे अखबारों में खबर है कि जालंधर की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के छात्र ने आत्महत्या कर ली। वह केरल से पढ़ने आया था। इसका अभी सही कारण नहीं मालूम पड़ रहा, परन्तु यही लगता है उसे भी किसी न किसी तरह से तंग किया गया होगा, क्योंकि एक छात्र दूर से पढ़ने आता है तो वह पढ़ने ही आता है। अगर वह आत्महत्या करता है तो उसका कोई बड़ा कारण रहा होगा। इधर भोपाल में एक 19 वर्षीय छात्रा का अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने वाले तीन आरोपी स्टूडैंट पुलिस ने पकड़ लिए हैं। आखिरकार मानवता कब तक शर्मसार होती रहेगी। कहने का भाव है कि आज के युवाओं में विशेषकर छात्राओं में अवसाद इतना बढ़ गया है कि वे किसी भी हद तक चले जाते हैं। उनके अभिभावक यानि माता-पिता अपनी खून पसीने की कमाई से उन्हें पढ़ने भेजते हैं, फिर वहां एमएमएस वाला कांड या आत्महत्या वाला कांड हो जाए तो माता-पिता कहां जाएं।
आज मोबाइल फोन जरूरत भी है, आफत भी बन गए और छात्रों को इतनी तो समझ होनी चाहिए कि अगर वे कोई अपनी या दूसरों की वीडियो बनाकर डिलिट भी करते हैं तो उसके बाद भी वह वीडियो फोन से ली जा सकती है। कुछ मजाकिया तौर या शरारत से या नैतिकता से गिरकर वीडियो बनाते हैं, यह नहीं सोचते कि इसका अंजाम क्या होगा। या तो वो किसी की जिन्दगी खराब कर देंगे या अपनी कर लेंगे।
आज जो समय चल रहा है छोटे बच्चों को ही स्मार्ट फोन मिल जाते हैं, जिससे बच्चे बच्चे तो रहते नहीं, न किशोर बनते हैं अपितु बचपन से सीधा युवा बन रहे हैं। जिससे वे आसानी से जिज्ञासा हेतु वेबसाइटों पर अश्लील सामग्री देखना शुरू कर देते हैं, जिसका प्रभाव उनके मन मस्तिष्क पर बहुत ही बुरा पड़ता है। पहला अभिभावक या परिवार पर दूसरा शिक्षा पर, तीसरा समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में जो हुआ उससे महिलाओं, बेटियों की गरिमा और सम्मान पर बहुत ठेस लगी है कि एक महिला दूसरी महिला की दुश्मन कैसे बन सकती है। उस लड़की ने अपना भविष्य तो खराब किया ही अपने मां-बाप का नाम भी बदनाम कर दिया। अपने कालेज और होस्टल का नाम भी बदनाम कर दिया। कई लड़कियों के होस्टल में पढ़ने के रास्तों को रोक दिया। बहुत से माता-पिता अपनी बेटियों को होस्टल में भेजने से डरेंगे।
इसलिए यूनिवर्सिटी को तो ठोस कदम उठाने ही चाहिए। चाहे वो चंडीगढ़ की हो या जालंधर की यूनिवर्सिटी। साथ-साथ ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों इसके लिए छात्राओं को नैतिकता का पाठ आैर मां-बाप को अच्छे संस्कार देने आवश्यक हैं। आज हमारे समाज में नैतिक मूल्य और संस्कारों की कमी आ रही है, उसकी तरफ सबको ध्यान देना होगा। समाज को, देश को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले घरों से शुरूआत होनी चाहिए। खासकर युवाओं में संस्कार, सभ्यता, भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों का होना बहुत जरूरी है।