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किस ओर ले जा रहा है फिटनेस और स्ट्रैस का जुनून?

आज का युवा इंटरनेट और सोशल मीडिया, गूगल, फेसबुक, ट्विटर के माध्यम से बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है, परन्तु साथ-साथ इस कम्पीटिशन के दौर में आगे बढ़ने की होड़ में सफल होने के जुनून से बहुत ही स्ट्रैस और फिटनेस सनक से गुजर रहा है

आज का युवा इंटरनेट और सोशल मीडिया, गूगल, फेसबुक, ट्विटर के माध्यम से बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है, परन्तु साथ-साथ इस कम्पीटिशन के दौर में आगे बढ़ने की होड़ में सफल होने के जुनून से बहुत ही स्ट्रैस और फिटनेस सनक से गुजर रहा है। आज के हीरो-हीरोइन 0 साइज और 6 एप पर विश्वास करते हैं। पहले के दौर में हीरो-हीरोइन एक्टिंग पर जोर देते थे और फिट भी रहते थे, परन्तु 0 साइज या 6 एप नहीं था। पुरानी हीरोइन आशा पारिख, माला ​िसन्हा, नंदा, मुमताज, एक्टर दलीप कुमार, देवानंद, मनोज कुमार, राजेश खन्ना, राजेन्द्र कुमार अपने समय के बहुत सफल एक्टर रहे। उन सबका अपनी एक्टिंग पर ध्यान होता था, अपने भविष्य पर होता था। वो कई लोगों के आइडल होते थे। कई फैशन, हेयर स्टाइल, कपड़े उनको देखकर बनते थे। कई सामाजिक, धार्मिक फिल्में लोगों की जिन्दगी में असर छोड़ती थीं।
आज एक्टिंग पर कम लड़कियों में 0 साइज और लड़कों में 6 एप का फैशन इतना जोर पकड़ गया है कि वह इसको पाने के लिए कई तरीके अपनाते हैं। जिमिंग तो ठीक परन्तु कई जिम ट्रेनर लड़के-लड़कियों को कई तरह के शेक और स्टेराइड देना करना शुरू कर देते थे, जो एकदम उनको फिट तो बना देते हैं, परन्तु इनके साइडइफैक्ट और इफैक्ट बहुत बुरे होते हैं। यही नहीं जल्दी सफलता प्राप्त करने और मशहूर होते आगे बढ़ने के लिए आेवरटाइम काम करना, ​िजमिंग करना, डाइट का चुनाव करना कई शिफ्ट में काम करना और फिर काम मिलने न मिलने और अपने आप को स्ट्रैस में रखना जवानी की उम्र में जो उम्र दिनभर काम कर थक कर सोने की होती है उस उम्र में डिप्रेशन, मैंटल स्ट्रैस की दवाइयां लेना और नींद न आने की कई दिक्कतों से घिर जाते हैं। पहले समय में लोग अपनी जिन्दगी से संतुष्ट थे, अब संतुष्टि दूर-दूर तक नजर नहीं आती। पिछले कुछ सालों से बहुत ही युवा टीवी एक्टर, फिल्म एक्टर, सिंगर की अचानक असमय मृत्यु इन बातों की गवाह है। अभी कि हम सब जानते हैं जीवन, मरण, लाभ, हानि, यश, अपयश सब विधि हाथ परन्तु कारण तो बनते हैं। मुझे नहीं मालूम टीवी के बहुत ही चमकते ​िसतारे जिसका बहुत अच्छा भविष्य था, जो अपनी मां का इकलौता ​सहारा था, उसको इतनी युवा अवस्था में क्यों हार्ट अटैक आ गया, परन्तु एक मां होने के नाते उस युवा की मृत्यु ने हिला कर रख ​िदया। बालीवुड आैर देश में इस युवा के प्रति उसकी मां के प्रति शोक की लहर है।
आखिरकार सितारे इतना स्ट्रैस क्यों झेल लेते हैं यह इनकी वर्किंग से जाना जा सकता है। किसी सीरियल की शूटिंग के लिए अगर आपका आधे घंटे का रोल है या दस मिनट का रोल है तो आठ-आठ, दस-दस घंटे शूटिंग के लिए इंतजार और फिर अपने किरदार को निभाने के लिए तैयारी और इसके अलावा एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए थका देने वाली ट्रेवलिंग सबकुछ दबाव का ही हिस्सा है। सिद्धार्थ ने जिस तरह से बिग बॉस-13 का खिताब जीता और वह टीवी का सुपर स्टार बना तो मैं सबसे ज्यादा पापुलर टीवी शो बालिका वधू का जिक्र करना चाहूंगी जिसमें उसने शिव का किरदार निभाया था। आज वह दुनिया में नहीं है। बालिका वधू के दो और सितारे जो आनंदी का किरदार निभाने वाली प्रत्यूषा बेनर्जी थी वह अपने घर में फंदे से लटकी मिली थी। जबकि इसी साल इसी बालिका वधू में दादीसा का किरदार निभाने वाली सुरेखा सिकरी की भी मौत हो चुकी है। डा. लोग बताते हैं कि ज्यादा तनाव दिल को कमजोर बनाता है और हार्ट अटैक आ जाता है। इस कड़ी में सुशांत सिंह राजपूत, जिया खान, इंद्रकुमार, दिव्या भारती, टीवी कलाकार मनप्रीत ग्रेवाल, प्रेरक्षा मेहता, आर्या बनर्जी और आरती अग्रवाल जैसे कितने ही सितारे अपनी भरी जवानी में दुनिया छोड़कर चले गये।
मेरा मानना है कि इसमें कोई शक नहीं कि ये सितारे हिट रहने के लिए शारीरिक रूप से फिट रहते हैं। जिम भी रेगुलर जाते हैं। जब आप जिम जाते हैं तो कई दवाएं लेते हैं। जो लोग फिल्मी दुनिया में है और फिल्मों का निर्माण कर रहे हैं या वेब सीरिज अथवा ओटीटी से जुड़ रहे हैं शूटिंग को लेकर तनाव तो है। कई बार सवाल उठता है कि क्या स्ट्रैस फ्री जीवन के लिए कोई  राष्ट्रीय नीति नहीं बन सकती। प्रधानमंत्री मोदी स्वस्थ भारत के लिए यूथ को फिट रहने का आह्वान करते हैं और हमें इस बात का पालन करना भी चाहिए। लेकिन स्वाभाविक तरीकों से शारीरिक कसरत पर जोर दें तो वह ज्यादा अच्छा है। योग से बढ़कर कोई स्वाभाविक शारीरिक कसरत नहीं है। वह खुद योग करते हैं, मैं खुद योग में विश्वास करती हूं। नैचुरल पैथी पर विश्वास रखती हूं। पच्चीस साल से चालीस साल के बीच के लोगों का बॉलीवुड इंडस्ट्री में इस तरह से हार्ट अटैक से मौत का शिकार हो जाना चौंकाने वाली बात है। स्वाभाविक तरीकों में विश्वास रखना होगा। यही जीवन है। मैं सिद्धार्थ की मृत्यु पर भगवान से प्रार्थना करती हूं कि उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें और परिवार को यह सदमा सहन करने की शक्ति दें।

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