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क्या श्रद्धा और अन्य पीड़ितों को न्याय मिलेगा?

क्या श्रद्धा, अंकिता, किरन नेगी व बहुत सी और बालीवुड में पीडि़त लड़कियों को जस्टिस मिलेगा। प्यार के रिश्ते तो कुछ और ही होते हैं परन्तु जो वर्तमान समय में प्यार के नाम पर दहशत, दरिंदगी अति घृणित घटनाएं सामने आ रही हैं। अभी जो श्रद्धा के मामले में बात सामने आ रही है

क्या श्रद्धा, अंकिता, किरन नेगी व बहुत सी और बालीवुड में पीडि़त लड़कियों को जस्टिस मिलेगा। प्यार के रिश्ते तो कुछ और ही होते हैं परन्तु जो वर्तमान समय में प्यार के नाम पर दहशत, दरिंदगी अति घृणित घटनाएं सामने आ रही हैं। अभी जो श्रद्धा के मामले में बात सामने आ रही है, उसका अदालत में साबित होना बाकी है। यह कैसे प्यार के रिश्ते हैं जो दरिन्दगी में बदल रहे हैं, समाज में कहां गलती हो रही है।
कुछ दशक पहले लड़कियों पर बहुत ज्यादती होती थी दहेज, भ्रूण हत्या, रेप… फिर लड़कियों के ​लिए 498 आया परन्तु उसका भी दुरुपयोग होने लगा और लड़कियों में कई परिवर्तन आये जैसे कि अच्छी और उच्च स्तरीय शिक्षा से आत्मविश्वास बढ़ा, अपने पैरों पर खड़ी होने लगी। आज के युग में लड़के-ल​ड़कियों को बराबर समझा जाता है। दूसरे शहरों में जाकर नौकरी करना, अकेला रहना, अपनी मर्जी से जीवन के अहम फैसले लेना, आत्मविश्वास के बल पर हर क्षेत्र में आगे रहना बहुत ही गर्व की बात है। आजकल तो लड़कियां अंतरिक्ष, वकील, डाक्टर, पुलिस, आर्मी, मीडिया, डिजानिंग, एक्टिंग आदि हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधा से कंधा मिला कर चल रही हैं और आगे बढ़ रही हैं। गांव की सरपंच से सांसद तक… घर में लड़की पैदा हो तो ज्यादा खुशी मनाई जाती है परन्तु फिर भी ऐसे समय में कहां गलतियां हो रही हैं जो ऐसे दर्दनाक ​वीभत्स हादसे सामने आ रहे हैं जिसको सुनकर मानवता भी शार्मिन्दा है।
मेरा मानना यह है कि हमारी भारतीय संस्कृति जो देश-विदेश में मशहूर है उसी में मर्या​दा में रह कर लड़कियां आगे बढ़ें तो ही अच्छा है। इसके साथ-साथ थोड़ा सा माता-पिता को भी बदलना होगा और बच्चों को भी समझना होगा ​िक माता-पिता जो कहते हैं या किसी बात के ​िलए रोकते हैं तो यह उनका ​िजन्दगी का अनुभव है और बच्चों के प्रति प्यार, जैसे श्रद्धा के मात​ा-पिता ने उसे इस रिलेशन के लिए कई बार मना किया था। आजकल के बच्चे अपने माता-पिता को पुराने ख्यालों वाले समझ कर उनकी बात नहीं समझते और आगे बढ़ जाते हैं और तो और जो आजकल लिव इन रिलेशन का सिलसिला चल पढ़ा है, यह और भी खतरनाक है। जब दोनों तरफ से मां-बाप रिश्ता कर शादी करते हैं तो वह सामाजिकता और अपने रीति-रिवाजों के संस्कारों से विदा करते हैं तो बच्चों को अपने माता-पिता से लगाव, प्यार और सम्मान का ध्यान होता है और दोनों के माता-पिता अपने सान्निध्य में ध्यान रखते हैं कि बच्चे कैसा जीवन बिता रहे हैं परन्तु जो लड़कियां-लड़के अपनी मर्जी से अपने माता-पिता की अनुमति के बगैर शादी करते हैं और उनसे रिश्ता तोड़ देते हैं या दोनों तरफ के माता-पिता को कुछ नहीं समझते उनसे दूरी बना लेते हैं, फिर ऐसा बुरा वक्त आने पर माता-पिता को बताते हुए भी डरते हैं क्योंकि उन्होंने समय पर माता-पिता का कहना नहीं माना होता।
दूसरी तरफ ऐसे लड़कों ‘‘दरिन्दों’’ को जो श्रद्धा और निधि गुप्ता जैसी लड़कियों के कातिल हैं या ऐसी और कई लड़कियों के कातिलों को मैं समझती हूं फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से एक महीने के अंदर ही फैसला करके चौराहे के बीच लोगों के सामने फांसी देनी चाहिए ताकि आगे कोई ऐसी सोच भी न रखे। क्योंकि अगर अपने आप में सबसे बड़ा अपराध कत्ल के रूप में सामने आने और कबूल करने के बाद भी अगर सालों-साल केस चलता है, तारीख पर तारीख पड़ती है, तभी अपराधी के हौंसले बढ़ते हैं। ऐसे घोर अपराधियों को अगर खाड़ी देशों की तरह तुरंत फांसी की सजा दी जाए तो अपराधी ऐसा करने से पहले कई बार सोचेंगे और इस प्रकार की घटनाओं पर काफी हद तक अंकुश लग सकता है।
ऐसे लड़के-लड़कियां जो प्यार,  लिव इन रिलेशन या शादी के बंधन में हैं अगर दोनों में से किसी से गलती या कोई मतभेद हो जाए तो दोनों को अपने माता-पिता के साथ बात साझा कर बात को वहीं रोक देना चाहिए और मां-बाप को अपने बच्चों को विश्वास दिलाना चाहिए कि अगर तुमसे कोई गलती हो गई है तो उसे सुधारने के लिए वापस आ जाएं जैसे श्रद्धा के केस में अगर वो पिटती रही या उसे शक था कि आफताब उसे मार देगा तो उसे अपने माता-पिता को बताना चाहिए था और घर वापसी करनी चाहिए थी, साथ ही माता-पिता को भी उसकी गलती को नजरंदाज करते हुए खुली बाहों से उसे स्वीकार करना चाहिए। मगर श्रद्धा के मामले में ऐसा हो नहीं सका। वह किस डर से यह सब सहती रही। हर शादी में छोटी-मोटी समस्याएं आती हैं क्योंकि दोनों लड़का-लड़की अलग माहौल में पले-बढ़े होते हैं, तब दोनों के माता-पिता को समझा कर आगे बढ़ना चाहिए परन्तु जहां दरिन्दगी-दहशत हो तो वह रिश्ता वहीं समाप्त हो जाना चाहिए क्योंकि प्यार की लड़ाई और दरिन्दगी में बच्चों को फर्क समझ आना चाहिए। 
क्या अब कोर्ट, समाज ऐसी लड़की जिसका बड़ी बेरहमी से कत्ल किया गया को न्याय दिलवा सकेगा? क्या ऐसे दर्दनाक कत्ल कभी लिव इन रिलेशन में, कभी शादी के बाद, कभी रेप करने के बाद…. क्या निर्भया कांड होते ही रहेंगे?

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