लंबे समय से लिवर सिरोसिस से पीड़ित चल रहे सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश का दिल्ली के एक अस्पताल में कई अंगों के निष्क्रिय हो जाने के बाद शुक्रवार को निधन हो गया। डॉक्टरों ने यह जानकारी दी। वह 80 वर्ष के थे।
उनका अंतिम संस्कार शनिवार को शाम चार बजे गुड़गांव के बेहेलपा के अग्निलोक आश्रम में किया जाएगा। इससे पहले, उनका पार्थिव शरीर 7, जंतर मंतर रोड स्थित उनके कार्यालय में रखा जाएगा, ताकि लोग अंतिम नमन कर सकें।
अंतिम दर्शन करने के लिए आने वालों से कोविड-19 संबंधित निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया गया है।
डॉक्टरों ने कहा कि अग्निवेश को इंस्टीट्यूट आफ लिवर एंड बिलेरी साइंसेज (आईएलबीएस) के आईसीयू में भर्ती कराया गया था और मंगलवार से वह जीवनरक्षक प्रणाली पर थे।
अस्पताल के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘वह लिवर सिरोसिस से पीड़ित थे और आज उनकी हालत बिगड़ गयी। उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया तथा शाम छह बजे हृदयाघात आने के बाद उनका निधन हो गया।’’
उन्होंने कहा कि स्वामी अग्निवेश को पुन: होश में लाने की कोशिश की गयी लेकिन शाम साढ़े छह बजे उनका निधन हो गया।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
पुरी ने ट्वीट किया, ‘‘महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश के निधन के बारे में सुनकर शोकग्रस्त हूं। उनके प्रशंसकों और अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदना है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
बनर्जी ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘सामाजिक मुद्दों पर लड़ने के लिए कोलकाता में प्रोफेसर के रुप में अपना करियर छोड़ने वाले स्वामी अग्निवेश के निधन पर दुखी हूं। उनके दोस्तों और अनुयायियों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।’’
गांधी ने उनके निधन को देश के लिए एक ‘‘अपूरणीय क्षति’’ बताया।
उन्होंने ट्वीट किया, “बंधुआ मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और आर्य समाज के क्रांतिकारी नेता स्वामी अग्निवेश का आज निधन हो गया। स्वामी जी का निधन आर्य समाज सहित पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है। मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।”