बिहार के बहुचर्चित सीवान तेजाब कांड में बुधवार को उच्च न्यायालय अपना फैसला सुनाते हुए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सिवान कोर्ट की सजा इस मामले में बरकरार रहेगी। इस मामले में बाहुबली और राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं और उनकी उम्रकैद की सजा बरकरार रहेगी। उनको निचली कोर्ट द्वारा सजा सुनायी गयी थी।
बता दे कि सिवान की विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए शहाबुद्दीन के वकील ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए 30 जून को सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे अब जाकर सुनाया गया।
सिवान की विशेष कोर्ट ने 11 दिसंबर 2015 को तेजाब हत्याकांड में फैसला सुनाते हुए मोहम्मद शहाबुद्दीन, राजकुमार साह, मुन्ना मियां और शेख असलम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस मामले में तेजाब कांड में जान गंवाने वाले युवकों की मां कलावती देवी ने 16 अगस्त 2004 को सीवान के थाने में मुकदमा दर्ज कराया था ।
जानिए क्या है ये पूरा मामला
16 अगस्त 2004 को बिहार के सीवान के कारोबारी चंदा बाबू जमीन विवाद के निपटारे के लिए पंचायत में थे । पंचायत में ही कुछ लोगों ने उन्हें मारने की धमकी दी । पंचायत में उनके साथ मारपीट भी हुई । विवाद बढ़ता देख चंदा बाबू अपने घर आ गए । वे पत्नी और बेटों के साथ कहीं भागने लगे तभी वहां कुछ बदमाश आ गए । चंदा बाबू ने घर में रखे तेजाब को बदमाशों पर फेंककर अपनी और अपने परिवार की जान बचाई थी ।
आरोप है कि उसी शाम चंदा बाबू के दोनों बेटों गिरीश राज उर्फ निक्कू और सतीश राज उर्फ सोनू को कुछ लोगों ने अगवा कर लिया था । इसके बाद सीवान शहर के चौराहे पर दोनों पर तेजाब डालकर उनकी हत्या कर दी गई थी । इसके बाद 16 जून 2014 को सीवान के डीएवी कॉलेज मोड़ पर चंदा बाबू के तीसरे बेटे राजीव रौशन की भी गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी । इस मामले में शहाबुद्दीन और उनके पुत्र ओसामा नामजद अभियुक्त हैं ।