राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है। छापेमारी के दौरान हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के लेटर हेड मिले है। जिससे ये खुलासा हुआ है कि घाटी में टेरर फंडिंग एक नहीं दोनों ओर से होता रहा है। यानि आतंकी हुर्रियत नेताओं से पैसे की मांग करते हैं। आतंकी हुर्रियत अधिकारियों को अपने एटीएम के तौर पर उपयोग कर रहे थे।
यहां तक कि पैसे के लिए ये आतंकियों को धमकी तक देते थे और एनआइए को मिले दस्तावेज से पता चलता है कि समय-समय पर लश्कर और हिज्बुल मुजाहिद्दीन अलगाववादियों को फंड पहुंचाते रहते हैं। लश्कर और हिजबुल के स्थानीय कमांडर अपने बीमार साथियों के इलाज और अन्य कारणों से हुर्रियत अलगाववादियों से धन की मांग करते हैं।
ये ही नहीं बल्कि वो हजारों-लाखों रुपये के अलावा मोबाइल फोन की भी मांग करते थे। सीमा पार से कश्मीर को दहलाने और पत्थरबाजों को पैसा देने के मामले में एनआईए हुर्रियत नेताओं से पूछताछ कर रही है, जिन्हें कल ही 10 दिनों की रिमांड पर भेजा गया है। एनआईए को मिली चिट्टी में हिजबुल का एरिया कमांडर बुरकान ने नईम खान से 7 हजार से 10 हजार रुपये तक की मांग की है। लेटर में बुर्कान लिखता है, ‘आपने जो हमारी मदद की है, हम उसके लिए जिंदगी भर शुक्रगुजार रहेंगे।
ये लेटर हिजबुल कमांडर ने मूल रूप से उर्दू में लिखा है, जिसे एनआईए ने हिंदी में अनुवाद कराया है।लश्कर-ए-तैयबा के कश्मीर यूनिट ने हुर्रियत सदस्यों को खत में लिखा, ‘ हमारा दोस्त बीमार है और इसलिए 5,000 रुपयों की जरूरत है। उम्मीद है आप हमें निराश नहीं करेंगे। लेटर हेड पर लिखा है कि लश्कर का हेड ऑफिस मुजफ्फराबाद में है। इसमें मुजफ्फराबाद ब्रांच ऑफिस का पता और एक मोबाइल नंबर के साथ इमेल आइडी भी दी गई है।