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इंदिरा सागर बांध पर लगेगा 1,000 मेगावाट का अल्ट्रा मेगा फ्लोटिंग सोलर संयंत्र

न्यूनतम क्षेत्र 26,710 हेक्टेयर है, जो 13,000 मेगावाट की सौर परियोजना को समायोजित कर सकता है। इसी के मद्देनजर यहाँ यह परियोजना विकसित की जायेगी।

मध्य प्रदेश सरकार ने खंडवा जिले में नर्मदा नदी पर बने एशिया के सबसे बड़ा बांध ‘इंदिरा सागर बांध’ पर 1,000 मेगावॉट अल्ट्रा मेगा फ्लोटिंग सोलर परियोजना विकसित करने की पहल की है। मध्यप्रदेश के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव ने बृहस्पतिवार को बताया, ‘‘राज्य सरकार ने इंदिरा सागर बांध पर 1000 मेगावॉट अल्ट्रा मेगा फ्लोटिंग सोलर संयत्र विकसित करने की पहल की है। इसको स्थापित करने के लिए हमने तैयारियां भी शुरू कर दी है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘इस संबंध में हम उन लोगों से चर्चा कर रहे हैं, जो इस सोलर संयंत्र को लगाने में रुचि ले रहे हैं और जल्द ही इसको अंतिम रूप दे दिया जाएगा।’’ श्रीवास्तव ने बताया, ‘‘इस इस सोलर संयंत्र को स्थापित करने की लागत करीब पांच करोड़ रूपये प्रति मेगावाट के हिसाब से आने का अनुमान है।’’ 

इसी बीच, मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना की स्थापना से प्रदेश को कई फायदे होंगे, जिसमें जलाशय का उपयोग भूमि के विकल्प के रूप में किया जाएगा। इसकी स्थापना से सस्ती विद्युत का अधिक उत्पादन होगा और वाष्पीकरण में कमी आने से जल-संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। 

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, इस परियोजना की स्थापना से जल की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि इस तरह यह परियोजना अपने तरह की अनोखी होगी। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के इंदिरा सागर जलाशय को एशिया में सबसे बडा़ जल निकाय होने का गौरव प्राप्त है। इस जलाशय में जल निकाय का न्यूनतम क्षेत्र 26,710 हेक्टेयर है, जो 13,000 मेगावाट की सौर परियोजना को समायोजित कर सकता है। इसी के मद्देनजर यहाँ यह परियोजना विकसित की जायेगी। 

मध्य प्रदेश की बिजली खपत में एक चौथाई हिस्सा नवकरणीय ऊर्जा का है। करीब पौने पाँच हजार मेगावाट का विद्युत उत्पादन कर मध्यप्रदेश नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हुआ है। प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर मध्यप्रदेश में बहुतायत में उपलब्ध नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से विद्युत उत्पादन पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है। प्रदेश में सितम्बर-2019 की स्थिति में सौर ऊर्जा से 2071 मेगावॉट, पवन ऊर्जा से 2444 मेगावॉट, बायोमास ऊर्जा से 117 मेगावॉट और लघुजल विद्युत ऊर्जा से 96 मेगावॉट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा था।

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