मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में महिलाओं को कमतर बताने वाले अंशों को तत्काल हटाया जाए। पाठ्यक्रमों का ऑडिट कर उन्हें जेंडर न्यूट्रल बनाने का कार्य प्राथमिकता से पूर्ण किया जाए। इसके साथ ही महिला अधिकारियों कर्मचारियों के पद नाम के लिए उपयोग की जाने वाली शब्दावली में भी समानता का भाव आवश्यक है। शिक्षिका, प्राचार्या के स्थान पर महिला पुरुषों के लिए समान शब्दावली जैसे शिक्षक, प्राचार्य आदि पदनाम का उपयोग किया जाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के अंतर्गत महिला सशक्तिकरण और बाल कल्याण पर गठित अंतर विभागीय समूह की बैठक को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि शोर्य दलों तथा स्वसहायता समूहों को ग्राम स्तर पर संयुक्त रूप से कुपोषण के साथ-साथ महिला हिंसा, दहेज प्रथा को रोकने पर नजर रखने के लिए सक्रिय किया जाये। स्वास्थ-पोषण सुरक्षाशासकीय व अशासकीय शाला तथा आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रत्येक तीन माह में पोषण स्तर और खून की जांच आवश्यक रूप से हो। आंगनबाड़ियों और मिड डे मील में मोटे अनाज को सम्मिलित किया जाये। कुपोषण में आयुष की भूमिका पर भी विचार हो।
शिक्षा स्तर में संवर्धनमुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बालिका शिक्षा को कौशल संवर्धन से जोड़ने की आवश्यकता है। इससे बालिकाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और महिला सशक्तिकरण में मदद मिलेगी। लाडली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत लाभांवित बालिकाओं को भी व्यावसायिक दक्षता वाले पाठ्यक्रमों से जोड़ा जाये। महिला सम्मान के लिए वातावरण निर्माणस्वास्थ केंद्रो तथा वन स्टाप सैंटरों पर हिंसा से प्रभावित महिलाओं की स्क्रीनिंग के लिए स्वास्थ कर्मियों का प्रशिक्षण आयोजित किया जाये। प्रदेश के सभी जिलों में सेफ सिटी कार्यक्रम का विस्तार किया जाये। मोबाइल से विकृति पैदा करने वाली सामग्री को नियंत्रित करना आवश्यक है। इस दिशा में आवश्यक उपाय किये जायें।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि महिलाओं द्वारा किये जाने वाले घरेलू तथा अन्य अवैतनिक कार्यों के मौद्रिक मूल्यांकन के लिए तकनीक विकसित की जाये। स्कूल ऑफ गुड गर्वेंन्स को यह दायित्व सोंपा जाये। आर्थिक सशक्तिकरण कामकाजी महिलाओ को सुविधा देने के लिए सभी जिलों में काम काजी महिला वसति गृह स्थापित किये जायें। ग्रामीण स्तर पर स्वसहायता समूह की महिलाओं को उचित मूल्य की दुकान और सहकारी समितियों के संचालन के अधिकार सौंपे जायें। महिलाओं को ट्रेवल गाइड, वाहन चालक, टूर आपरेटर और हास्पिटैलिटी के क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया जाये। बाल शोषण और बाल श्रम के प्रति जागरूकता
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों के साथ-साथ प्रदेश के सभी अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी राज्य सरकार लेगी। ऐसे बच्चों की देखरेख के लिए समाज का सहयोग भी लिया जायेगा। अनाथ बच्चों के लिए 18 वर्ष तक शिक्षा के साथ-साथ कौशल उन्नयन या उच्च शिक्षा की व्यवस्था भी की जायेगी। जिससे ऐसे बच्चों को आसानी से रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें। बैठक में बाल शोषण और बाल श्रम के प्रति जागरूकता के लिए विशेष अभियान चलाने,गुमशुदा बच्चों, नशे की प्रवृत्ति से ग्रस्त बच्चों की स्थिति में सुधार के संबंध में भी विचार विमर्श हुआ।