महाराष्ट्र में करोड़ों रुपये के कथित विदर्भ सिंचाई घोटाले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग वाली जनहित यचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से जवाब तलब किया। यह जनहित याचिका अतुल जगताप और गैर सरकारी संगठन जनमंच ने दायर की है। यह याचिका हाई कोर्ट की नागपुर पीठ में पिछले हफ्ते दायर की गयी थी।
इस याचिका में मामले की जांच प्रदेश के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से लेकर इसे सीबीआई को सौंपने की मांग की गयी है। एसीबी ने पिछले महीने हाई कोर्टमें एक हलफनामा दायर कर राकांपा नेता अजित पवार को क्लीन चिट दी थी। पवार उस वक्त विदर्भ सिंचाई विकास निगम के अध्यक्ष थे। न्यायमूर्ति जेड ए हक एवं न्यायमूर्ति एम जी गिराटकर की पीठ ने सोमवार को राज्य सरकार को इस मामले में 15 जनवरी तक जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया।
पिछले महीने हाई कोर्ट में दायर हलफनामे में एसीबी ने विदर्भ क्षेत्र में सिंचाई परियोजनाओं के अनुमोदन और इसके कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से संबंधित मामले में अजित पवार के शामिल होने से इंकार किया था। पुणे जिले के बारामती से विधायक अजित पवार महाराष्ट्र में कांग्रेस राकांपा शासनकाल के दौरान 1999 से 2009 तक जल संसाधन मंत्री थे।