मध्य प्रदेश में 1993-2003 के बीच बदली थी महिलाओं की स्थिति - दिग्विजय सिंह - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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मध्य प्रदेश में 1993-2003 के बीच बदली थी महिलाओं की स्थिति – दिग्विजय सिंह

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बताया कि जब वह सत्ता में थे तो महिलाओं के अधिकारों में कैसे सुधार हुआ। उन्होंने यह जानकारी तब साझा की जब महिलाओं को निर्णय लेने में अधिक अधिकार देने के लिए सरकार में एक कानून बनाया जा रहा था। सिंह ने संसद में पारित महिला आरक्षण विधेयक के बीच अपने शासनकाल (1993-2003) में महिलाओं की स्थिति में आए बदलाव का ब्यौरा जारी किया। पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा जारी किए गए ब्यौरे के अनुसार, राज्य में वर्ष 1993-2003 के बीच हमारी सरकार ने सबसे पहले पंचायती राज व्यवस्था लागू की, जिसके तहत हमने त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनावों में महिलाओं को आरक्षण दिया था।

संचालक मंडल में भी महिलाओं को आरक्षण दिया

साथ ही सरकारी, अर्द्ध सरकारी, पंचायत, स्थानीय और सहकारी संस्था की नौकरियों में 30 प्रतिशत पदों को महिलाओं लिए आरक्षित किया था। अकेले स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों के 30 प्रतिशत पदों पर महिलाओं की नियुक्ति हुई। प्रदेश में उस वक्त कुल 1 लाख 47 हजार शिक्षकों में से 1 लाख 31 हजार 103 महिला शिक्षक कार्यरत थीं। उन्होंने अपने शासनकाल का विवरण देते हुए बताया कि 10 वर्ष के कार्यकाल में 13 महिला सहकारी बैंकों को संचालित किया गया था। प्रत्येक नवगठित सहकारी संस्था में कम से कम एक तिहाई महिला सदस्य होना अनिवार्य किया था। सहकारी संस्था के संचालक मंडल में भी महिलाओं को आरक्षण दिया था।

अल्प बचत और साख समूह गठित किए

पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया है कि कांग्रेस के 10 वर्षों के कार्यकाल में तेंदु पत्ता मुंशियों के 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए सुरक्षित किए। वनोपज संग्राहकों के कार्ड में पति-पत्नी दोनों के नाम दर्ज करना अनिवार्य बनाया। राजीव गांधी जल ग्रहण क्षेत्र विकास मिशन के तहत 7500 से अधिक महिला अल्प बचत और साख समूह गठित किए थे। महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन को प्राथमिकता दी तथा उस दौरान डेढ़ लाख से अधिक समूह गठित किए गए, जिसमें 15 लाख महिलाएं सहभागी बनीं। कृषि विस्तार सेवाओं में भी महिलाओं की तादाद बढ़ाई जिसमें सीधी भर्ती के सभी पदों पर महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया।

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