‘नेशनल हेराल्ड’ केस से जुडी मनी लॉन्ड्रिंग संबंधी जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को तलब किया। खड़गे सुबह करीब 11:00 बजे प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर पहुंचे, इसके बाद से उनसे पूछताछ जारी है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता खड़गे (79) को जांच के संबंध में संघीय एजेंसी के समक्ष पेश होने को कहा गया था। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी जांच संबंधी कुछ पहलुओं को समझना चाहती है। उन्होंने बताया कि खड़गे का बयान धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया जाएगा।
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
सुब्रमण्यम स्वामी ने साल 2012 मेंट्रायल कोर्ट के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि कुछ कांग्रेसी नेता यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में धोखाधड़ी और विश्वासघात में शामिल थे। अपनी याचिका में स्वामी ने आरोप लगाया था कि YIL, जिसके निदेशक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी हैं। इन सभी ने लाभ और संपत्ति हासिल करने के लिए दुर्भावनापूर्ण तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति पर अधिग्रहण किया था।
नेशनल हेराल्ड अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी ‘एजेएल’ के पास था जो दो और अखबार भी छापा करती थी। हिंदी में ‘नवजीवन’ और उर्दू में ‘कौमी आवाज’। आजादी के बाद 1956 में एसोसिएटेड जर्नल को अव्यवसायिक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 के अंतर्गत इसे कर मुक्त भी कर दिया गया।
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साल 2008 में ‘एजेएल’ के सभी प्रकाशनों को निलंबित कर दिया गया और कंपनी पर 90 करोड़ रुपए का कर्ज भी चढ़ गया। फिर कांग्रेस नेतृत्व ने ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की एक नई अव्यवसायिक कंपनी बनाई जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया। इस नई कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 76 प्रतिशत शेयर थे जबकि बाकी के 24 प्रतिशत शेयर अन्य निदेशकों के पास थे।