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PM मोदी ने मंत्रियों संग की बैठकें, शाह और नड्डा के साथ भी किया मंथन

केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार और फेरबदल की अटकलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ विचार-विमर्श किया। वर्ष 2019 में लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में कोई विस्तार नहीं किया है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार और फेरबदल की अटकलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ विचार-विमर्श किया। वर्ष 2019 में लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में कोई विस्तार नहीं किया है।
उत्तर प्रदेश में भी मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की अटकलें हैं। इन अटकलों को इसलिए बल मिला क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो दिनों से राजधानी दिल्ली में थे और इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी, शाह और नड्डा से मुलाकात कर लंबी चर्चा की।
सूत्रों ने बताया कि मोदी अलग-अलग समूहों में केंद्रीय मंत्रिपरिषद के अपने सहयोगियों से मुलाकात कर रहे हैं। इन मुलाकातों के दौरान नड्डा भी मौजूद थे।
भाजपा के शीर्ष नेताओं के बीच यह कवायद शाह की उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय दलों के नेताओं क्रमश: अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के संजय कुमार निषाद तथा प्रवीण कुमार निषाद से मुलाकात के बाद आरंभ हुई है।
पटेल, मोदी के पहले कार्यकाल में मंत्री बनाई गई थीं लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिले भारी बहुमत के बाद बनी केंद्रीय मंत्रिपरिषद में उन्हें कोई जगह नहीं दी गई थी।
मुलाकातों और चर्चा की इस कवायद के बारे में भाजपा की ओर से अभी तक आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है।
सूत्रों के मुताबिक अब तक 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर मोदी की मंत्रियों के साथ तीन ऐसी समीक्षा बैठकें हो चुकी हैं। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा भी इन बैठकों में शामिल हुए। तीनों बैठकें घंटों तक चलीं।
मोदी की शीर्ष स्तर पर यह बैठकें ऐसे समय में हुई है जब देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में संक्रमण के मामलों में कमी आई है। इस लहर के दौरान सरकार को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान प्रधानमंत्री के समक्ष इस बारे में एक प्रस्तुति भी दी गई।
सूत्रों ने बताया कि अभी तक कृषि, ग्रामीण विकास, पशुपालन और मत्स्य, जनजातीय मामलों, शहरी विकास, संस्कृति, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन, नागरिक उड्डयन, रेलवे, खाद्य और उपभोक्ता मामले, जल शक्ति, पेट्रोलियम, इस्पात और पर्यावरण मंत्रालयों के केंद्रीय और राज्यमंत्रियों को बैठकों के लिए बुलाया गया था। सूत्रों ने बताया कि इस प्रकार की बैठकें अभी अगले कुछ और दिनों तक चलेंगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रधानमंत्री मोदी, शाह और नड्डा से अलग-अलग मुलाकातें कर लंबी चर्चा की। उनकी इस मुलाकातों को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों से जोड़कर देखा जा रहा है।
हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी प्रधानमंत्री से मुलाकात की है। इस मुलाकात के दो दिनों के बाद ही भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय वापस तृणमूल कांग्रेस में लौट गए। चार साल पहले उन्होंने तृणमूल कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था। हाल ही में संपन्न पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पार्टी को अपेक्षाकृत परिणाम नहीं मिले थे।
भाजपा के संगठन महासचिव बी एल संतोष ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के प्रभारी राधामोहन सिंह के साथ लखनऊ का दौरा किया था। इस दौरान दोनों नेताओं ने राज्य सरकार के मंत्रियों, विधायकों, सांसदों के अलावा संगठन के प्रमुख पदाधिाकारियों के साथ अलग-अलग बैठकें की थी।
संतोष ने उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड और गोवा का भी दौरा किया था राज्यों के नेताओं से विचार-विमर्श कर चुनाव में जाने से पहले की तैयारियों का जायजा लिया था।
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री की मंत्रियों संग बैठकों को पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा केंद्र व राज्यों में की गई बैठकों के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों नड्डा ने कोविड-19 की दूसरी लहर से पैदा हुई परिस्थितियों और हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन को लेकर पार्टी महासचिवों और विभिन्न मोर्चों के अध्यक्षों के साथ दो दिनों तक मंथन किया और इसके बाद नड्डा ने सभी नेताओं के साथ प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी।
अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा सहित पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन चुनावों में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन को लेकर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अपनी तैयारियों में जुट गया है। इन पांच में से चार राज्यों में भाजपा का शासन है जबकि पंजाब कांग्रेस शासित है।
इन पांच राज्यों के बाद साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के भी विधानसभा चुनाव होने हैं। इन सभी राज्यों में भाजपा को अपनी सरकार बचाने की चुनौती होगी।

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