केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर मंद पड़ रही है और उम्मीद जताई कि प्रतिबंधों को धीरे-धीरे और चरणबद्ध तरीके से ढील देने के बावजूद यह गिरावट कायम रहेगी। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा कि देश में लगातार देखा जा रहा है कि अधिकतर हिस्सों में दूसरी लहर स्थिर है, यह संक्रमण के मामलों और संक्रमण की दर दोनों ही मामलों में स्थिर है।
उन्होंने कहा कि कोविड की दूसरी लहर का मंद पड़ना अधिकतर राज्यों में पाबंदियों के साथ-साथ जांच, कोविड उपयुक्त व्यवहार और टीकाकरण प्रयासों की वजह से है। उन्होंने कहा, “ हम उम्मीद करते हैं और विश्वास हैं कि यह पाबंदियों को धीरे-धीरे, चरणबद्ध तरीके से और सतर्कता से हटाने के बावजूद यह कायम रहेगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि भारत में पिछले 20 दिनों से कोविड-19 के नए मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की गई है और 24 राज्यों में पिछले एक हफ्ते में इलाजरत मरीजों की संख्या में भी कमी देखी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 जांच को कई गुना बढ़ाया गया है जबकि पिछले तीन हफ्तों से कोविड-19 की साप्ताहिक संक्रमण दर में कमी देखी जा रही है।
पॉल ने कहा कि टीकाकरण को जुलाई से गति मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, “ हमारे पास 51.6 करोड़ खुराकें हैं, इसका एक बड़ा हिस्सा उपलब्ध है और कुशल तरीके से उपयोग किया जाना है।” पॉल ने कहा, “ मैं बताना चाहूंगा कि भारत बायोटेक ने 90 लाख की क्षमता से शुरुआत की थी, वह तेजी से अपनी क्षमता बढ़ा रही है और यह हमारी अपेक्षा के अनुसार है कि यह अगले कुछ महीनों में उत्पादन स्तर से दस गुना बढ़कर 10 करोड़ प्रति माह तक पहुंच सकती है।”
पॉल ने कहा कि इसी तरह सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी टीका उत्पादन 6.5 करोड़ प्रति माह से बढ़ाकर 11 करोड़ या इससे भी ज्यादा कर रहा है। अन्य टीके भी कतार में हैं और वे भी आपूर्ति बढ़ाएंगे जैसे स्पूतनिक, जाइडस और जेनोवा टीका। उन्होंने कहा, “ हमने टीके की अभी उपलब्धता के लिए अंतरराष्ट्रीय निर्माताओं, खासकर फाइजर, के साथ भी संपर्क किया है जिन्होंने दिलचस्पी दिखाई है और भारत को टीका देने की संभावना का संकेत दिया है।”
अधिकारी ने कहा कि सरकार विदेशी निर्माताओं तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है और ‘मेक इन इंडिया’ टीकों के उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ाने के लिए भी अथक प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा अगर कोई व्यक्ति कोविड टीके की पहली खुराक किसी एक कंपनी की और दूसरी खुराक अन्य कंपनी के टीके की लगवाता है तो किसी भी महत्वपूर्ण प्रतिकूल प्रभाव की संभावना नहीं है लेकिन दृढ़ राय पर पहुंचने के लिए अधिक जांच और समझ की जरूरत है।
पॉल ने यह भी साफ किया कि किसी व्यक्ति को मौजूदा प्रोटोकॉल के तहत टीके की दोनों खुराकें एक ही वैक्सीन की लगानी चाहिए। पूछा गया कि टीके की दोनों खुराकें लेने के बाद एंटीजन जांच कराने की जरूरत है क्योंकि टीके की दोनों खुराके लेने वाले लोगों में जांच में कोई एंटीबॉडी नहीं मिली, जिसपर पॉल ने कहा कि कोविड-19 टीका लेने के बाद एंटीबॉडी जांच कराने की जरूरत नहीं है।
पॉल ने कहा कि एक टीकाकरण अभियान में जिसमें सरकार सभी लोगों में एक खास बीमारी के खिलाफ रोध प्रतिरोधक क्षमता विकसित करना चाहती हैं, उसमें टीके की दो खुराकें लेनी हैं। अगर वर्धक खुराक की जरूरत होगी इस बारे में बताया जाएगा। उन्होंने कहा कि कई अध्ययन चल रहे हैं कोवैक्सीन का परीक्षण चल रहा है।
फाइजर के क्षतिपूर्ति से सुरक्षा मांगने पर , पॉल ने कहा, “ जी हां, हम फाइजर के साथ बातचीत कर रहे हैं और उन्होंने संकेत दिया है कि आगामी महीनों, शायद जुलाई से निश्चित मात्रा में टीके उपलब्ध हो सकते हैं और हम देख रहे हैं कि सरकार से वे क्या चाहते हैं और वे देख रहे हैं कि हमारी उनसे क्या अपेक्षाएं हैं।”
पॉल ने कहा, “उन्होंने सभी देशों से हानि से सुरक्षा का आग्रह किया है। हम इस आग्रह का परीक्षण कर रहे हैं और हम लोगों के बड़े हित और मेरिट पर फैसला करेंगे। इस पर चर्चा की जा रही है और अबतक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।” अग्रवाल ने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत सरकार द्वारा दिल्ली को 45.46 लाख खुराक मुफ्त दी गई हैं और सीधी खरीद के जरिए, दिल्ली ने 8.17 लाख और निजी अस्पतालों ने 9.04 लाख खुराकें खरीदी है।