18 और 22 सितंबर के बीच संसद में केंद्र सरकार ने विशेष सत्र बुलाया है । जी हां गुरुवार 31 अगस्त के दिन केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने इसकी जानकारी दी है, उन्होंने कहा है की विशेष सत्र की पांच बैठक की जाएगी । जिसके दौरान का महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे साथ ही राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने इस विशेष सत्र का निर्णय लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो विशेष सत्र के दौरान कोई भी प्रश्नकाल,कोई भी शून्य काल और कोई भी निजी सदस्य कार्य नहीं होने वाला है । इस दौरान सिर्फ सरकार जी-20 अध्यक्षता और जी-20 शिखर सम्मेलन पर चर्चा करेंगी। जहां संसद में पिछले महीनों से चल रहे मुद्दों पर भी चर्चा हो सकता है। और उनके बिल पेश हो सकते हैं जी हां हम बात कर रहे हैं UCC एक देश एक चुनाव और महिला आरक्षण की इन मुद्दों को लेकर संसद में बिल पेश किया जा सकता है।
UCC को लाना चाहती है सरकार!
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने इस विशेष सत्र को लेकर कहा है कि अमृतकाल के बीच संसद में सार्थक चर्चा और बहस की उम्मीद है । जहां एक देश एक चुनाव के तहत लोकसभा चुनाव और अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनाव को एक ही समय पर कराया जाए जिसको लेकर विचार और विमर्श किया जाएगा। साथ ही विधि आयोग इस पर अध्ययन भी करेगी। इतना ही नहीं बल्कि समान नागरिक संहिता को लेकर भी बिल पेश किया जाएगा । जिसका एक ही मकसद होगा की सभी धर्म जाति, पंथ, सेक्सुअल ओरियंटेशन और लिंग के लिए एक ही कानून लाना है यह वह कानून है जिसके तहत हर धर्म के व्यक्ति को एक ही कानून का पालन करना पड़ेगा । क्योंकि देश में कई ऐसे धर्म मौजूद है जिनके अपने अलग-अलग कानून है । जिसके हिसाब से वह अपने दिनचर्या को अपनाते हैं और अपने कानून को चलाते हैं। जिस कारण केंद्र सरकार देश में UCC लाना चाहती है ताकि सभी व्यक्ति को एक ही कानून का पालन करना पड़े।
क्या है विशेष सत्र?
अब आपके बीच एक सवाल होगा की विशेष सत्र क्या है? तो आपको बता दे की विशेष सत्र वह अवधि होती है जब निकाय सामान्य अवधि सत्र के बाहर बुलाया जाता है यह अक्सर वर्ष के अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए ही किया जाता है । जैसे कि वित्तीय वर्ष 2 वर्ष किया ने अवधि के लिए सरकार के बजट के रूपरेखा तैयार करना अलग-अलग मुद्दों पर बात करना इत्यादि। पहले भी कई सरकारों ने संविधान दिवस और कई विशेष अवसरों को मानते हुए दोनों सदनों के बीच कई विशेष सत्र की बैठक बुलाई मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो तमिलनाडु और नगालैंड में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के लिए 1977 फरवरी के महीने में राज्यसभा में विशेष सत्र बुलाई गई थी। इसके अलावा अनुच्छेद 356 के तहत हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी के लिए 3 जून 1991 के दिन दो दिवसीय विशेष सत्र आयोजित किया गया था ।