कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘ऑर्गेनाइजड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट’ (ओसीसीआरपी) द्वारा अडाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों को लेकर बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन कर गहन जांच की जानी चाहिए। उन्होंने यहां संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा कि ‘जी20’ की बैठक से पहले यह मामला सामने आया है और यह देश की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ विषय है।
#WATCH | “…It is very important that the Prime Minister of India Mr Narendra Modi clears his name and categorically explains what is going on. At the very least, A JPC should be allowed and a thorough investigation should take place. I don’t understand why the PM is not forcing… pic.twitter.com/nMQiIpH9FW
— ANI (@ANI) August 31, 2023
राहुल गांधी ने कहा कि स्पष्ट होना चाहिए कि ‘देश से बाहर भेजा गया एक अरब डॉलर’ किसका पैसा है? उन्होंने यह सवाल भी किया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी एजेंसियां गौतम अडाणी से पूछताछ क्यों नहीं कर रही हैं? राहुल गांधी ने कहा, ‘‘मौजूदा माहौल जी 20 का है। यह दुनिया में भारत की स्थिति को लेकर है। भारत जैसे देश के लिए बहुत जरूरी है कि हमारे आर्थिक माहौल में पारदर्शिता और व्यापार में समान अवसर हों। दो प्रमुख वैश्विक अखबारों ने महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं…।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को खुद को पाक-साफ साबित करना चाहिए। जेपीसी गठित होनी चाहिए।’’ कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी अडाणी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच क्यों नहीं होने दे रहे हैं? उन्होंने दावा किया कि सेबी की जांच में अडाणी समूह को क्लीनचिट दे दी गई और ऐसा करने वाले व्यक्ति फिर अडाणी समूह के ही कर्मचारी बन गए।
गौरतलब है कि ओसीसीआरपी ने अडाणी समूह पर निशाना साधते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि उसके प्रवर्तक परिवार के साझेदारों से जुड़ी विदेशी इकाइयों के जरिए अडाणी समूह के शेयरों में करोड़ों डॉलर का निवेश किया गया।अडाणी समूह ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है। जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड द्वारा वित्त पोषित संगठन ने ऐसे समय में आरोप लगाए हैं, जब कुछ महीने पहले अमेरिकी वित्तीय शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग ने अडाणी समूह पर बही-खातों में धोखाधड़ी तथा शेयरों के भाव में गड़बड़ी के साथ विदेशी इकाइयों के अनुचित उपयोग का आरोप लगाया था। इन आरोपों के बाद समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट आई थी।