ब्यास नदी के ताडंव ने सबकुछ कर दिया तबाह फिर भी सीना ताने खड़ा है पंचवक्त्र महादेव मंदिर, जानें इसका इतिहास - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

ब्यास नदी के ताडंव ने सबकुछ कर दिया तबाह फिर भी सीना ताने खड़ा है पंचवक्त्र महादेव मंदिर, जानें इसका इतिहास

हिमाचल प्रदेश में चारों तरह बाढ़ आई हुई है लेकिन पंचवक्त्र मंदिर अपनी शान के साथ खड़ा है। इस मंदिर में भगवान शिव की विशाल पंचमुखी महादेव की प्रतिमा स्थापित है, जो भगवान शिव के पांच स्वरूपों को दर्शाती है। आइए जानते हैं मंदिर की क्या हैं मान्यताएं और इतिहास…

हिमाचल प्रदेश में सालों बाद एक बार फिर केदारनाथ जैसी तबाही का मंजर देखने को मिला। लगातार आसमान से बरस रही मूसलाधार बारिश और बाढ़ ने चारों तरफ जल प्रलय से हुई तबाही ने करोड़ों का नुकसान हुआ है। हिमाचल में आई इस बाढ़ से सबसे ज्यादा तबाही मनाली से लेकर मंडी तक देखी गई। व्यास नदी ने ऐसा कोहराम मचाया कि 100 साल पुराने पुल तक बह गए।
1689412462 whatsapp image 2023 07 12 at 2.13.45 pm
इसी बीच मंडी की तबाही का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें एक शिव मंदिर के इस बाढ़ में सीने ताने खड़ा दिखाई दे रहा है। मंदिर की तस्वीरें और वीडियो को शेयर करते हुए कहा जा रहा है कि सारा आधुनिक निर्माण बह गया है लेकिन सालों पुराना मंदिर आज भी वैसे ही टिका हुआ है। बता दें कि ये मंडी का 300 साल पुराना प्रसिद्ध शिव मंदिर है जिसका नाम पंचवक्त्र मंदिर है।
1689412471 mandi 1689160451
भगवान शिव को समर्पित ये अनोखा मंदिर सुकेती और ब्यास नदियों के संगम पर स्थित है। दो नदियों के संगम पर बसे होने की वजह से हर साल मानसून के दिनों में ये मंदिर जलमग्न हो जाता है लेकिन कभी भी पूरी तरह नहीं डूबता है। सालों पहले जैसे भारी बाढ़ के बावजूद उत्तराखंड का केदारनाथ मंदिर को कुछ नहीं हुआ था, उसी तरह मंडी में ब्यास नदीं के ताडंव में भी ऐतिहासिक पंचवक्त्र महादेव मंदिर को कुछ नहीं हुआ।
1689412478 2020 08 05
बता दें कि, पंचवक्त्र महादेव मंदिर को त्रिलोकीनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के बारे में मान्यता है कि जो भी भक्त यहां शिव का ध्यान करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और आशीर्वाद बना रहता है। बताया जाता है कि इस प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण राजा अजबर सेन ने 16वीं सदी के पूर्वार्द्ध में करवाया था। विशाल मंच पर खड़ा ये मंदिर बाढ़ के बीच भी बहुत अच्छी तरह से सुसज्जित है।
दरअसल, मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की विशाल पंचमुखी प्रतिमा स्थापित है इसलिए इस मंदिर को पंचवक्त्र नाम दिया गया है। ये पंचमुखी प्रतिमा भगवान शिव के पांच स्वरूप ईशान, अघोरा, वामदेव, तत्पुरुष और रुद्र को दर्शाते हैं। मंदिर का मुख्य द्वार ब्यास नदी की तरफ है और इसके दोनों ओर द्वारपाल हैं। पंचमुखी महादेव की प्रतिमा के साथ नंदी की भी भव्य मूर्ति है, जिसका मुंह गर्भगृह की दिशा में है। 
1689412498 6334539532 868759039c b
पंचवक्त्र मंदिर अपने आध्यात्मिक महत्व के अलावा वास्तुशिल्प कलाओं के लिए भी काफी जाना जाता है, इस मंदिर में पौराणिक दृश्यों और देवताओं को दर्शाती जटिल पत्थर की नक्काशी बीते युग में ले जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान इसी स्थान पर भगवान शिव से आशीर्वाद मांगा था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से पंचवक्त्र महादेव मंदिर को राष्ट्रीय स्थल घोषित किया गया है।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

18 − 1 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।