चंद्रयान-3 की सफलता के बाद दूसरे ग्रहों पर अंतरिक्ष यान भेजने की योजना बनाई जा रही है। मंगल कॉलोनी पूरी मानवता द्वारा साझा किया गया एक लक्ष्य है। यहां तक कि मंगल ग्रह पर जाने के इच्छुक लोगों को भी पिछले वर्ष एक अमेरिकी कंपनी ने आवेदन जमा करने के लिए आमंत्रित किया था।
लेकिन क्या ये सचमुच हो सकता है? क्या सचमुच वहां कोई कॉलोनी बसाई जा सकती है? क्या सच में मंगल ग्रह लोगों के रहने के लायक जगह बन सकती हैं? लोग वहां जाएंगे तो कैसे होंगे? कितने लोग आखिर वहां जा सकते हैं? उन्हें किस प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी? वैज्ञानिकों ने इन सभी सवालों के जवाब दे दिए हैं।
क्या मंगल पर जीवन हैं संभव?
जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार, मंगल ग्रह पर पर्यावरण इतना प्रतिकूल है कि अगर कोई वहां जाकर रहना चाहता है, तो उसे कई चीजों से लैस होना होगा। अनेक समस्याओं के कारण हर कोई शख्स वहां नहीं रह सकता। इस वजह से मंगल ग्रह को इंसानों के रहने लायक जगह बनाना एक कठिन काम है। खासकर इंजीनियरिंग के नजरिए से देखा जाए तब तो। एक साथ कई लोगों को वहां भेजना तो मुमकिन ही नहीं हैं।
ये शर्ते करनी पड़ेगी पूरी
वैज्ञानिकों का कहना हैं कि शुरुआत में केवल 22 लोग ही मंगल ग्रह की यात्रा कर पाएंगे। ये वे व्यक्ति हैं जिनके पास आवश्यक तकनीकी दक्षता है। जो इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में कुशल हैं। ऐसे अंतरिक्ष यात्रियों को नजदीकियों का डर नहीं होना चाहिए। आसान भाषा में कहे तो ऐसे यात्रियों को क्लॉस्ट्रोफोबिया नहीं होना चाहिए। दूसरे शब्दों में, उन्हें अप्रत्याशित परिवर्तनों से किसी भी प्रकार का डर महसूस नहीं करना चाहिए। उन्हें पनडुब्बी से यात्रा करने का आदी होना चाहिए। युद्ध के समय भी उन्हें डरना नहीं चाहिए। पर्यावरण से अभ्यस्त होने के लिए उसे कई दिनों तक अंतरिक्ष स्टेशन पर रहना होगा।
पहले यात्री मस्क भी हो सकते हैं
इस महीने की arXiv प्रीप्रिंट सर्वर पर पोस्ट की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल उन लोगों को ही मंगल की यात्रा करने की अनुमति है जो इन आवश्यकताओं को पूरी तरह से पूरा करने में सक्षम हैं। आसान शब्दों में, यात्री को एक इंजीनियर और अंतरिक्ष यात्री के रूप में पूरी तरह विकसित होना चाहिए। वैज्ञानिकों द्वारा चार मॉडल भी प्रस्तावित किये गये। उम्मीद थी कि शायद स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क कुछ ही महीनों में इसे पूरा कर पाएंगे। 28 अगस्त को “स्टार्स ऑन मार्स” कार्यक्रम के प्रसारण से कुछ दिन पहले वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले नासा ने घोषणा की थी कि उसने ऐसे कार्बनिक अणुओं की खोज की है जो मंगल ग्रह पर जीवन का कारण हो सकते हैं।