Main Highlights
- सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र का समुद्र के पास होना
- भूमध्य रेखा के पास होने से लॉन्चिंग में लगने वाले ईंधन को बचता है
- लॉन्चिंग के लिए बेस इंफ्रास्ट्रक्चर का मजबूत होना
- बंगाल की खाड़ी के तट से सटे होने से बड़ा फायदा
आज भारत ने अपने सपनों की उड़ान भरी है। आज चंद्रयान-3 की सफल लॉन्च ने भारत के नाम गर्व से ऊंचा कर दिया है। अब चंद्रयान-3 के सफलता पूर्वक लॉन्च पर राजनेता और अभिनेता सभी इसरो को खूब बधाई दे रहे है। इससे पहले भी इसरो में कई ऐसे काम किए है जो रिकॉर्ड है। एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च करना, मिशन मंगल को अंजाम देना, दुनिया में सबसे सस्ती लॉन्चिंग प्रदान करना आदि-आदि। पर आपके दिमाग में कभी ये सवाल आया है कि इसरो अपने सभी राकेट की लॉन्चिंग भारत के श्रीहरिकोटा से ही क्यों करता है?
आपने हर बार की तरह इस बात भी सुना होगा। श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग हुई, लेकिन श्रीहरिकोटा ही क्यों, तो आपको बता दे इसके उत्तर कई पैमाने पर है। सिर्फ एक पैमाने पर श्रीहरिकोटा राकेट लॉन्चिंग स्टेशन को नहीं बताया जा सकता है। आपको बता दे भारत के आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में दो लॉन्च पैड के साथ एक स्पेसपोर्ट संचालित करता है। इसका नाम सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार है, जो श्रीहरिकोटा नाम जगह पर पड़ता है ,जिसे ‘भारत का अंतरिक्ष बंदरगाह’ भी कहा जाता है।
इंफ्रास्ट्रक्चर
यहाँ भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए लॉन्च बेस इंफ्रास्ट्रक्चर है, जो किसी भी तरीके से दिक्कत नहीं पहुंचाते है। इसमें दो लॉन्च पैड हैं जहां से रॉकेट लॉन्च किया जाता है। पीएसएलवी और जीएसएलवी का संचालन किया जाता है। SDSC SHAR के पास साउंडिंग रॉकेट लॉन्च करने के लिए एक अलग लॉन्च पैड है। यह स्थान रणनीतिक है और कई कारणों से महत्वपूर्ण लाभ देता है।
भूमध्य रेखा के पास होना
श्रीहरिकोटा जगह की सबसे बड़ी खासियत है कि यह भूमध्य रेखा के पास है और भूमध्य रेखा के पास होने से लॉन्चिंग में लगने वाले बहुत ईंधन को बचता है। श्रीहरिकोटा से लॉन्च किए गए रॉकेटों को पृथ्वी के पश्चिम-पूर्व घूर्णन के अतिरिक्त वेग से सहायता मिलेगी, जो भूमध्य रेखा के सबसे करीब महसूस होता है और जैसे-जैसे हम पृथ्वी के ध्रुवों की ओर बढ़ते हैं, कम और कम महसूस होता है। इससे भूमध्यरेखीय कक्षाओं में प्रक्षेपण में मदद मिलती है।
समुद्र के पास होना
श्रीहरिकोटा, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र का समुद्र के पास होना भी सबसे अच्छी बात है। यह बंगाल की खाड़ी के तट पर एक द्वीप है और समुद्र से सटा हुआ है। श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित रॉकेट पूर्व की ओर उड़ते हैं, और समुद्र के ऊपर उड़ते हैं जिसका अर्थ है कि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में, लॉन्चिंग के बाद रॉकेट और उसके टुकड़े समुद्र में ही गिरेंगे। रॉकेट के समुद्र के ऊपर होने पर दुर्घटना भी मलबा पानी में गिर जाएगा और जीवन या संपत्ति का नुकसान नहीं होगा।
स्थिर भौगोलिक मंच
इसके अलावा, एक लॉन्चपैड के लिए, मिट्टी मजबूत होनी चाहिए और रॉकेट लॉन्च के प्रभाव को झेलने के लिए उसके नीचे कठोर चट्टान होनी चाहिए। एक रॉकेट लॉन्चपैड के लिए आवश्यक है कि उपलब्ध भूभाग प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाले तीव्र कंपन को झेलने के लिए पर्याप्त ठोस होना चाहिए। श्रीहरिकोटा इस जगह पर बिलकुल ठीक बैठता है और ऊपर दिए गए कारणों के वजह से ही भारत के साथ दुनिया के लिए सबसे अच्छा लॉन्चिंग स्टेशन बना हुआ है।