वो कहते हैं न जीवन और मृत्यु कभी किसी के हाथ में नहीं लिखे होते हैं जिसकी मौत जब आने होती हैं तब ही आती हैं कोई संसार के इस सत्य से नहीं बच सकता कि मृत्यु और जीवन सब भगवान् ने लिखे हैं और तभी होंगे जब वह चाहेंगे। ऐसे ही हिन्दुओ में मृत इंसान के शरीर को मोक्ष प्राप्त कराने के लिए शमशान ले जाया जाता हैं। लेकिन क्या हो जब कोई आपसे कहे इस मुर्दे को इस वाले शमशान लेकर मत जाओ? क्योकि ये श्रापित हैं।
बिहार के सीवान स्थित में एक ऐसा श्मशान घाट हैं जिसके बारे में जब-जब लोग जानते हैं तो उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं इस श्मशान की कहानी इतनी अजीब और डरावनी हैं कि कोई भी डर जाये। ये कहानी हैं गुठनी के ग्यासपुर श्मशान घाट की जो किसी दिन सूना नहीं रहता। यहां हर दिन शव जलते रहते हैं, स्थानीय लोगों की मानें तो जिस दिन श्मशान घाट पर कोई शव नहीं जलता, उस दिन गांव के ही किसी न किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है। यही वजह है कि इस गांव के लोग इसे खतरनाक व खौफनाक श्मशान घाट मानते हैं।
सरयू और छोटी गंडक के मिलान पर ये श्मशान
ग्यासपुर श्मशान घाट सरयू और छोटी गंडक नदी के ठीक संगम के तट पर बना हुआ हैं। मोक्ष प्राप्ति के लिए उक्त स्थल को सीवान के लोग काफी शुभ मानते हैं। यही वजह है कि वहां प्रतिदिन अधिकतम 10 या कम से कम 1 या 2 शव जलते रहते हैं। वहां पर सिर्फ गुठनी ही नहीं, बल्कि दो दर्जन से अधिक गांव के लोग शवदाह के लिए आते हैं।
ग्यासपुर श्मशान घाट को को प्राप्त हैं श्राप
स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्यासपुर श्मशान घाट श्रापित घाट है। सदियों पूर्व पैर फिसलने से एक संत की मौत हो गई थी। डूबने के क्रम में संत बचाने के लिए चिल्लाते रहे, बावजूद उक्त गांव के लोग डर के कारण बचाने नहीं गए। इसके बाद मरने से पहले संत ने श्मशान घाट को श्राप दे दिया कि यहां प्रतिदिन किसी न किसी का शव जलेगा, तब से यहां हर दिन चिता जलती है। जिस दिन कहीं से शव नहीं आता है, उस दिन उस समय गांव के ही किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है।
5 साल से कोई आकस्मिक मौत का नहीं आया किस्सा
अब आगे बात करे एक और बड़े चौका देने वाले किस्से की तो बताया जाता है कि 5 वर्षों में अभी तक ऐसा कोई दिन न रहा हो कि ग्यासपुर श्मशान घाट पर किसी भी व्यक्ति का शव नहीं जला हो हर दिन इस श्मशान को एक न एक शव चाहिए ही होता हैं। अभी तक यह शमशान घाट एक दिन भी सूना नहीं रहा है। यही वजह है कि ग्यासपुर गांव में किसी भी व्यक्ति की आकस्मिक मौत नहीं हुई है। स्थानीय लोगों की मानें तो श्मशान घाट सूना रहने से 5 वर्ष पूर्व राम अयोध्या की मौत हो गई थी। इसका कारण श्रापित श्मशान घाट को ही माना गया था।