जल्द ही साल का अब वह महीना आने जा रहा हैं जिसमे कई नेशनल छुट्टिया मिलेंगी। ऐसे में लोग अक्सर अपने परिवार के साथ वकेशंस प्लान करते हैं लेकिन फिर सबसे बड़ा सवाल जो उनके मन में उठता हैं वो हैं की आखिर जाए तो जाए कहा। ऐसे में इस गर्मी के मौसम में किसी भी व्यक्ति की पहली चॉइस होती हैं पहाड़।
क्योकि सिर्फ यही एक ऐसी जगह हैं जहा जाकर आप प्रकृति को महसूस कर सकते हैं। खुली हवा में सांस ले सकते हैं और साथ ही पहाड़ो की ठंडक और वहा का सूंदर नज़ारा आपकी छुट्टियों में चार-चाँद लगा देगा। लेकिन पहाड़ तो सोच लिया लेकिन एक बार ये सोचा कि कौनसा हील स्टेशन आपकी छुट्टियों के लिए सबसे अच्छा रहेगा?
भारत में ऐसी खूबसूरत जगहों की कोई कमी नहीं भारत तो एक ऐसा देश हैं जहा आपको हर मौसम हर नज़ारे देखने को मिल सकते हैं। लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि अपने ही देश में एक ऐसा पहाड़ भी है जिस पर 10-20 नहीं, बल्कि पूरे 800 से ज्यादा मंदिर हैं। इस वजह से यह पर्वत सालो से आस्था का केंद्र बना हुआ है। तो आइए जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी।
अगर आप भी दुखभरी ज़िन्दगी से शांति पाना चाहते हैं तो आइये यहां आपको स्वर्ग जैसे सुख की प्राप्ति होगी, क्योंकि यह जगह अध्यात्म के लिए विश्वप्रसिद्ध है। लेकिन अब आप जानना चाह रहे होंगे कि आखिर यह जगह हैं तो हैं कौन सी, तो चलिए आपको बता दें कि यह दुनिया का इकलौता ऐसा पर्वत पालीताना शत्रुंजय नदी के तट पर बना शत्रुंजय पर्वत है। समुद्र तल से 164 फ़ीट ऊंचाई पर स्थित इस पहाड़ी पर सैकड़ों जैन मंदिर स्थित हैं यहां जाने के लिए आपको पत्थरों की 375 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है जिसके बाद आपको यहाँ के शांतिपूर्वक मंदिरो के दर्शन होंगे।
खुद भगवान ऋषभदेव किया था ध्यान
अब आपके मन में ये सवाल तो ज़रूर उठ रहा होगा कि पहाड़ो पर कोई प्रसिद्ध मंदिर होते हैं ये तो हमने सुना था लेकिन इतने सारे मंदिर और वो भी इतने की तादाद में ये कैसे संभव हैं? तो चलिए इसके पीछे का कारण भी आपको बता देते हैं। गुजरात के भावनगर जिले में स्थित यह पर्वत पर मुख्य शहर से करीब 50 किलोमीटर दूरी पर यह स्थित हैं। यहां पहले जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने ध्यान किया था और अपना पहला उपदेश दिया था। यहां 24 में से 23 तीर्थंकर भी पहुंचे थे। इसलिए यह पर्व जैन धर्म के लोगों के लिए प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। इस पर्वत पर बना मंदिर संगमरमर से तैयार किया गया हैं। जो लोगों को अपनी ओर खींचता है साथ ही मंदिरों में विशेष नक्काशी से इसकी खूबसूरती में और भी चार-चाँद लगाए हुए हैं।
मुस्लिम संत अंगार पीर की मज़ार भी
अब ये तो जान लिया हिन्दू धर्म के मंदिरो के बारे में लेकिन अब आपको बता दे कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन काफी संख्या में लोग शत्रुंजय पहाड़ी पर दर्शन करने के लिए पहुंचते भी हैं। माना जाता है कि जैन धर्म के संस्थापक आदिनाथ ने पर्वत के शिखर पर एक वृक्ष के नीचे तपस्या की थी। इतना ही नहीं बल्कि यहां पर आज भी भगवान आदिनाथ का मंदिर स्थित हैं, यहां मुस्लिम संत अंगार पीर की मजार भी है। साथ ही बताते हैं कि उन्होंने मुगलों से शंत्रुजय पहाड़ी की रक्षा की थी। इसलिए मुस्लिम लोग भी यहां आते हैं और मत्था टेकते हैं।