विद्यालय एक ऐसा स्थान हैं जहा से कोई भी व्यक्ति एक अच्छा इंसान बनना सीखता हैं जहा से उसे दुनिया की सबसे बड़ी राशि यान विद्या की प्राप्ति होती हैं जो उसे एक अच्छा इंसान बनाने के साथ-साथ उसे एक बुद्धिमान व्यक्ति भी बनाती हैं जिसके पास ये ज्ञान के मोती आ जाये फिर वह किसी भी परीक्षा में पीछे नहीं छोट सकता हैं। लेकिन इस ज्ञान को देने के लिए किसी भी व्यक्ति को एक शिक्षक की भी उतनी ही ज़रूरत होती हैं।
राज्य सरकार ने मदरसों में पैराटीचर नियुक्त कर वहा के स्थान से खूब वाह-वाही लूटी ली थी लेकिन नामांकन होने के बाद मौजूदा पदों पर अभी तक नियुक्ति नहीं होने से बच्चो का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। वह अब भी शिक्षा के पाठ से वांछित हैं। जिले के अधिकांश मदरसों में नामांकन के बावजूद पैराटीचर नहीं होने से बच्चे ड्रॉप्ट आउट हो रहे है। बागोडा मदरसा में एक साल पूर्व नियुक्त पैराटीचर नेना खान के निधन के बाद से लगातार पद रिक्त चल रहा है, जिससे करीब 40 विधार्थीओ को शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है।
इतना ही नहीं बल्कि पूरे मदरसा में एक भी टीचर नहीं हैं जिस वजह से बच्चो को पढाई का सुनहरा मौका ही नहीं मिल पा रहा हैं। मदरसे में एक भी स्टाफ नही होने विद्यार्थियों को राज्य सरकार की योजनाओं का फायदा भी नहीं मिल पाता है। पैराटीचर की नियुक्ति को लेकर अभिभावकों ने कई बार मांग की है लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है मदरसे में अध्ययनरत छात्रों की तीसरी भाषा उर्दू होने से अन्य विद्यालय में दाखिला लेने में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कस्बे में अन्य सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों में उर्दू नहीं होने से छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है।
इन सब चीज़ो से छात्र हैं वांछित
स्कूल में एक भी स्टाफ ना होने के चलते बच्चे पढाई से तो वांछित हैं ही साथ ही मदरसा के बच्चो को राज्य सरकार की योजनाओं का फायदा भी नहीं मिल पाता है। छात्रों को मिडडे मील के अलावा बाल गोपाल दूध वितरण योजना, निःशुल्क यूनिफॉर्म वितरण, छात्रवृत्ति सहित अन्य लाभ से भी वंचित होना पड़ रहा है।