देश में एक बार फिर समान नागरिक संहिता को लेकर बवाल मचा हुआ है। इसकी वजह ये है कि लॉ कमीशन ने समान नागरिक संहिता को लेकर धार्मिक और सामाजिक संगठनों के सदस्यों से सुझाव मांगा है। इससे पहले साल 2016 में भी आयोग ने जनता से उनकी राय मांगी थी। आयोग ने साल 2018 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि फिलहाल कॉमन सिविल कोड की जरूरत देश को नहीं है।
अब एक बार फिर आयोग ने लोगों से उनकी राय मांगी है। कॉमन सिविल कोड को लेकर राजनीतिक पार्टियों की अपनी अलग-अलग राय है। कुछ लोग इस कॉमन सिविल कोड को भारत में लागू करने के हित में हैं। तो वहीं, कुछ लोग इसका विरोध कर रहे है। हालांकि ये बताना जरुरी है कि भारत इकलौता ऐसा देश नहीं है जहां एक देश एक कानून की बात हो रही है। अन्य कई देशों में यूसीसी पहले से लागू है और इसकी लिस्ट काफी लंबी है।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड
यूसीसी का नाम सुनते ही सबसे पहले सवाल लोगों के मन में यही उठता है कि आखिर यूनिफॉर्म सिविल कोड होता क्या है। इस बिल की मांग भारत में काफी टाइम से चल रही है और इसका मतलब होता है कि एक देश एक कानून। साफ शब्दों में कहें तो देश में शादी, तलाक, अडॉप्शन या फिर संपत्ती के बंटवारे जैसे सभी मुद्दों के लिए एक ही नियम और एक ही कानून होना चाहिए। सभी धर्म के नागरिकों के लिए समान नियम होगा जिसका सभी को पालन करना होगा।
किन-किन देशों में है समान नागरिक संहिता?
अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किए, इंडोनेशिया, सूडान, इजरायल, जापान, फ्रांस, सऊदी अरब, मिस्र, मलेशिया, नाइजीरिया और रूस जैसे कई देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है। इन देशों में सभी धर्म के लोगों के लिए एक समान कानून होता है। वहीं मुस्लिम देशों की बात करें तो यहां शरिया कानून लागू है। हालांकि यूरोपीय मॉडल को देखते हुए इसके नियमों में संशोधन भी किया गया है।
गोवा में लागू है यूनिफॉर्म सिविल कोड
भारत में केवल गोवा राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है। भारतीय संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है। साथ ही संसद ने कानून बनाकर गोवा को पुर्तगाली सिविल कोड लागू करने का अधिकार दिया था। ये सिविल कोड आज भी गोवा में लागू है और इसको गोवा सिविल कोड के नाम से भी जाना जाता है। गोवा में सभी धर्म और जातियों के लिए एक फैमिली लॉ है।