जन्मदिन मनाना किसी को पसंद नहीं होता, चाहे उम्र छोटी हो या बड़ी हर कोई अपने अनुसार अपने जन्मदिन को मानता है। आपको भी अपना जन्मदिन मानना काफी अच्छा लगता होगा, लेकिन क्या कभी आपके दिमाग में ये सवाल आया है कि हम सब ऐसा क्यों करते है। जन्मदिन पर मोमबत्तियां बुझाना और केक काटना आमतौर पर हर कोई करता है।
आप जन्मदिन पर केक क्यों काटते हैं? शायद आपको इसका उत्तर नहीं पता आज हम आपको बताने वाले है। आपको बता दे जन्मदिन पर मोमबत्तियाँ बुझाने और केक काटने की परंपरा अभी की नहीं है। कहा जाता है कि इसकी शुरुआत साल 1808 में ही हो गई थी जर्मनी में उस समय केवल बच्चों के लिए किंडरफेस्ट के नाम से जन्मदिन समारोह आयोजित किया जाता था।
मानना है कि हमारा जीवन हमारे द्वारा काटे गए मुलायम जैसे केक की तरह सहज होना चाहिए। इसीलिए खास मौकों पर केक काटा जाता है। उसके बाद बहुत ही कम समय में यह संस्कृति पूरी दुनिया में फैल गई। कहा जाता है कि मोमबत्तियां जलाने की परंपरा यूनानियों के समय से चली आ रही है।
ग्रीक देवी आर्टेमिस की पूजा के लिए मोमबत्तियाँ जलाई जाती हैं। उनकी पूजा करते समय एक गोल केक पर मोमबत्तियाँ जलाई जाती हैं। वह रोशनी चंद्रमा की चमक का प्रतीक मानी जाती है। यूनानियों ने मोमबत्तियाँ जलाने से निकलने वाले धुएं को पवित्र माना। इसीलिए इसे मोमबत्ती बुझाते समय इच्छा करना कहा जाता है।
इसका मतलब है पूरे दिल से प्रार्थना करना कि हम जो सोचते हैं वह सच हो जाए। ऐसा माना जाता है कि मोमबत्ती का धुआं देवता तक पहुंचेगा और इससे उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी। तब से हर कोई इस संस्कृति का पालन कर रहा है। ये है जन्मदिन पर मोमबत्तियां बुझाने के पीछे की कहानी। आज से शायद जब भी आप कोई केक काटे तो आपको भी समझ में आएगा कि क्यों उस केक को आप काट रह है।