उम्मीद है कि भारत, अमेरिका S-400 मुद्दे पर मतभेद जल्द सुलझा लेंगे : अमेरिकी उप विदेश मंत्री - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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उम्मीद है कि भारत, अमेरिका S-400 मुद्दे पर मतभेद जल्द सुलझा लेंगे : अमेरिकी उप विदेश मंत्री

अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमन ने कहा एस-400 सौदे को लेकर संभावित प्रतिबंध के बारे में कोई भी फैसला राष्ट्रपति जो बाइडन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन लेंगे।

अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमन ने बुधवार को उम्मीद जतायी कि रूस से नयी दिल्ली द्वारा एस-400 वायु प्रतिरक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदे जाने के मुद्दे पर अमेरिका और भारत मतभेद सुलझा लेंगे।
शेरमन ने कुछ चुनिंदा संवाददाताओं से कहा कि एस-400 सौदे को लेकर संभावित प्रतिबंध के बारे में कोई भी फैसला राष्ट्रपति जो बाइडन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन लेंगे।
अमेरिकी उप विदेश मंत्री शेरमन ने यह टिप्पणी इस बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में की।
वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी ने मंगलवार को कहा था कि एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली की पहली खेप इस साल भारत पहुंच जायेगी।
इस मुद्दे का हल बातचीत के जरिए निकाल लिया जाएगा
इस बीच, भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और शेरमन के बीच हुई व्यापक चर्चा के दौरान रूस के साथ एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली खरीद सौदे पर भी बातचीत हुई और दोनों पक्षों ने उम्मीद जतायी कि इस मुद्दे का हल बातचीत के जरिए निकाल लिया जाएगा।
हमारा भारत के साथ मजबूत गठजोड़ है – अमेरिका की उप विदेश मंत्री
वहीं, शेरमन ने कहा, ‘‘ एस-400 का उपयोग करने वाले किसी देश के बारे में हमारा रुख सार्वजनिक है। हम समझते हैं कि यह खतरनाक है और किसी के सुरक्षा हित में नहीं है। हमारा भारत के साथ मजबूत गठजोड़ है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम आगे के रास्तों को लेकर काफी विचारशील और दोनों देशों के बीच चर्चा से समस्या के समाधान का प्रयास करना चाहते हैं, मुझे उम्मीद है कि हम इसका समाधान करने में सक्षम रहेंगे।’’
जानिए ! पूरा मामला 
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ‘काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट (सीएएटीएसए)’ के जरिये रूस से एस-400 मिसाइल प्रतिरोधी प्रणाली खरीदने को लेकर तुर्की पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुका है।
अक्टूबर 2018 में भारत ने रूस के साथ पांच यूनिट एस-400 वायु प्रतिरक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिए पांच अरब डॉलर का सौदा किया था। यह सौदा ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बावजूद किया गया था जिसमें उसने सौदे पर आगे बढ़ने की स्थिति में अमेरिकी प्रतिबंध संबंधी चेतावनी दी थी। भारत ने साल 2019 में पहली खेप के लिए 80 करोड़ डॉलर का भुगतान रूस को कर दिया था।

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