लुधियाना-फगवाड़ा : एस.सी- एस.टी एक्ट के विरोध में जनरल समाज मंच द्वारा भारत बंद का समर्थन करते हुए आज पंजाब के मालवा और दोआबा के मध्य सतलुज दरिया के पास बसे फगवाड़ा में बंद के ऐलान के चलते बाजार और कारोबार पूरी तरह बंद दिखा। बंद के दौरान सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहां भारी फोर्स तैनात थी, जबकि पंजाब के अन्य शहरों में लुधियाना, जालंधर, अमृतसर और पटियाला में बंद का असर नामात्र था।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक आज जरनल समाज के लोगों ने गांधी चौक में सुबह-सवेरे इकट्ठे किया और खुली दुकानों को भी अपील करके बंद करवा दिया। इस दौरान शहर भर में चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात थी और पुलिस लगातार उच्च अधिकारियों की देखरेख में फलैग मार्च करते दिखी। पुलिस ने शहर के अलग-अलग हिस्सों में टीमें बनाकर पुख्ता प्रबंध किए हुए थे ताकि कोई अनहोनी घटना ना घटे। पुलिस के उच्च अधिकारी भी सारा दिन स्वयं स्थिति पर नजर बनाए रखे रहे। इधर लुधियाना में भारतीय जनरल कैटागिरि संघ पंजाब की तरफ से भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम 1989 में किए गए संशोधन को तुरंत रदद किए जाने की मांग के लिए लुधियाना जिलाधीश प्रदीप अग्रवाल को ज्ञापन सौपा गया।
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भारतीय जनरल कैटेगिरी संघ पंजाब के संयोजक, वकील कृष्ण गोपाल शर्मा ने कहा कि भाजपा नेतृत्व केंद्र सरकार ने बिना किसी जांच के आरोपी की तुरंत गिरफ्तारी करके इस अधिनियम में संशोधन किया है और आगे सरकार ने मामले में अग्रिम जेल के प्रावधान को समाप्त कर दिया है अधिनियम, जो पूरी तरह से असंवैधानिक और न्याय के प्राकृतिक कानून के खिलाफ हैं। इस कानून के अनुसार, सामान्य श्रेणी के मौलिक अधिकार बुरी तरह प्रभावित होते हैं और उन्हें तुरंत समाप्त करने की आवश्यकता होनी चाहिए।
उन्होंने जाति आधारित आरक्षण प्रणाली को खत्म करने की भी मांग की। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम में संशोधन द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हटा दिया है और शिकायत के रूप में जांच के बिना प्राथमिकी के तत्काल पंजीकरण के प्रावधानों को स्थानांतरित कर दिया है और आपराधिक प्रक्रिया के प्रावधान धारा 438 को भी समाप्त कर दिया है अग्रिम जमानत के लिए कोड।
20 मार्च, 2018 को सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले में कहा कि प्राधिकरण की नियुक्ति के बिना किसी गिरफ्तारी को प्रभावी नहीं किया जा सकता है आगे कहा गया अधिनियम के दुरुपयोग को रोकने के लिए पुलिस के वरिष्ठ अधीक्षक और झूठे कार्यान्वयन से बचने के लिए संबंधित डीएसपी द्वारा प्रारंभिक जांच करने के लिए दिशा जारी की है। लेकिन बीजेपी की अगुआई वाली सरकार ने अपने राजनीतिक लाभों के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश को नजरअंदाज कर दिया है। उपर्युक्त अधिनियम में किए गए संशोधन असंवैधानिक है और प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को जमानत का अधिकार है और प्राथमिकी के पंजीकरण से पहले जांच की जानी चाहिए।
इसलिए उपरोक्त उल्लिखित अधिनियम तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए और जाति आधारित आरक्षण को भी समाप्त किया जाना चाहिए और आर्थिक स्थिति पर आधारित होना चाहिए। कृष्ण गोपाल शर्मा ने कहा। मेमोरेंडम देने के दौरान, राजेश कुमार मौर्य, अमित राय, मुनीश पुरांग, डीबीए के पूर्व उपप्रधान विपिन सगड़़, नितिन शर्मा, प्रदीप कपूर, योगेश भारद्वाज, सुरिंदर पाल कॉमरेड, संजय शर्मा, कुणाल वोहरा, चेतन शर्मा, अभिषेक कुमार, जतिंदर शर्मा और वकील थे भी मौजूद है।
उधर सवर्ण समाज की द्वारा आहूत बंद का पंजाब के फगवाड़ा के अतिरिक्त सूबे में अन्य जगह ज्यादा असर देखने को नहीं मिला। फगवाड़ा में स्कूल, कालेज व बाजार पूरी तरह से बंद रहे। सवर्ण समाज सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट संबधी दिए फैसले को संसद में कानून पास कर बदलने का विरोध कर रहा है। शहर में शांति का माहौल बना रहे इसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
स्मरण रहे कि जातीय दृष्टि से फगवाड़ा और आसपास के बेहद संवेदनशील है। इसी साल के 13 अप्रैल को फगवाड़ा के गोल चौक का नाम डॉ भीमराव अंबेदकर के नाम पर रखने को लेकर सामान्य वर्ग व अनुसूचित जाति लोग आमने सामने हो गए थे। इस दौरान भडक़ी हिंसा से माहौल तनावपूर्ण हो गया था।
पुलिस की ओर से सबकुछ शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने व सुरक्षा की दृष्टि से शहर में पंजाब पुलिस के जवानों सहित कमांडो, बीएसएफ व एआरपी के 550 के करीब कर्मचारियों की तैनाती की है। फगवाड़ा में लगभग 13 मुख्य प्वांइटों पर नाकाबंदी भी की गई है। इसके अलावा पीसीआर पुलिस समेत पुलिस की पेट्रोलिंग पार्टियां पूरे शहर का दौरा कर रही है। सीसीटीवी कैमरों से भी पूरे शहर पर नजर रखी जा रही है।
वहीं, पंजाब के अन्य शहरों लुधियाना, जालंधर, संगरूर, गुरदासपुर, पटियाला आदि जगहों पर बंद का ज्यादा असर नहीं दिखा। फिरोजपुर में आंशिक बंद रहा। पठानकोट में सवर्ण समाज ने एससी/एसटी एक्ट के विरोध में सलारिया चौक को बंद किया और विभिन्न सस्थाओं के प्रतिनिधियों ने प्रदर्शन किया।