साइरस मिस्त्री ने उच्चतम न्यायालय से कहा- परिवार को एनसीएलएटी से मिलनी चाहिए और राहत - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

साइरस मिस्त्री ने उच्चतम न्यायालय से कहा- परिवार को एनसीएलएटी से मिलनी चाहिए और राहत

प्रधान न्यायाधीश अरविंद बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 25 जनवरी को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें मिस्त्री को टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में बहाल किया गया था।

मुंबई : उच्चतम न्यालालय द्वारा टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में साइरस मिस्त्री को बहाल करने के आदेश पर रोक लगाने के बाद अब मिस्त्री ने शीर्ष अदालत का रुख करते हुए एनसीएलएटी के आदेश में कई विसंगतियों को दूर करने की मांग की है और कहा है कि न्यायाधिकरण से उनके परिवार को और अधिक राहत मिलनी चाहिए थी। 
मिस्त्री के परिवार की टाटा संस में 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है और उन्होंने अदालत में एक ‘क्रॉस अपील’ दायर की है। आमतौर पर क्रॉस अपील उसे कहते हैं, जिसमें किसी फैसले के कुछ पहलुओं के खिलाफ अपील की जाती है। 
प्रधान न्यायाधीश अरविंद बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 25 जनवरी को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें मिस्त्री को टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में बहाल किया गया था। न्यायालय ने टाटा समूह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह रोक लगाई गई है। 
मिस्त्री ने याचिका में टाटा के साथ समूह के संबंधों को “60 साल से पुराने अर्ध-साझेदारी संबंध” के रूप में बताया है, जिसके पास टाटा संस की इक्विटी शेयर पूंजी का 18.37 प्रतिशत हिस्सा है और जिस हिस्सेदार की कीमत 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।” 
याचिका के मुताबिक मिस्त्री ने एनसीएलएटी के आदेश में कई विसंगतियों को ठीक किए जाने की मांग की है, जिनमें अल्पसंख्यक शेयरधारकों के कथित उत्पीड़न पर ध्यान नहीं देने के साथ ही टाटा संस को एक निजी लिमिटेड कंपनी में एक पद के रूप में परिवर्तित करना शामिल है। यह बदलाव मिस्त्री को 24 अक्टूबर, 2016 को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद हुआ। 
न्यायाधिकरण के फैसले के बाद मिस्त्री ने कहा था कि वह टाटा संस में कोई कार्यपालक भूमिका नहीं चाहते हैं, लेकिन वह केवल कॉरपोरेट गवर्नेंस के मानदंडों के बनाए रखना और टाटा संस में परिवार के निवेश को सुरक्षित करना चाहते हैं। 
उच्चतम न्यायालय में 14 फरवरी को दायर की गई 45 पेज वाली इस याचिका में कहा गया है कि न्यायाधिकरण ने टाटा संस के पूर्वाग्रहपूर्ण आचरण को स्पष्ट रूप से पाया है, लेकिन उसने उनके परिवार को टाटा संस के निदेशक मंडल में आनुपातिक प्रतिनिधित्व सहित राहतें नहीं दी हैं जो महत्वपूर्ण है। 
याचिका में कहा गया कि कई ऐसे प्रावधान हैं जो बहुसंख्यक शेयरधारकों को पक्षपातपूर्ण आचरण में सक्षम बनाते हैं। इसमें अल्पसंख्यक शेयरधारकों के हितों की रक्षा की मांग की गई है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eleven − nine =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।