नई दिल्ली : दिल की बीमारी में काम आने वाले स्टेंट और दवाओं की कीमत तय करने के बाद केंद्र सरकार अब चिकित्सकीय जांचों और सर्जरी की भी कीमत तय करने जा रही है। इसके साथ ही सरकार ने जांच केन्द्रों के मानक को भी कानूनी अमलीजामा पहनाने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। उम्मीद है कि इसके बाद निजी अस्पताल और जांच केन्द्रों की मनमानी पर नकेल कसी जा सकेगी।
देश में चिकित्सकीय जांच और सर्जरी की कीमत तय करने को लेकर अभी तक कोई नियम नहीं है। इसका फायदा उठा कर निजी अस्पताल और जांच केंद्र मरीजों से मनमानी कीमत वसूलते हैं। इस पर नकेल कसने के लिए सरकार सभी तरह की जांच व सर्जरी की अधिकतम कीमत तय करने जा रही है। इसके तहत गली मोहल्लों में खुले जांच केन्द्रों से लेकर पांच सितारा अस्पताल भी आएंगे। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिख कर जांच और सर्जरी की न्यूनतम और अधिकतम कीमत बताने को कहा है। राज्यों के जवाब आने के बाद सरकार इसकी कीमत तय करेगी।
पैथोलोजिकल जांच के तय हुए मानक
निजी अस्पतालों और जांच केन्द्रों पर नकेल कसने को लेकर सरकार ने पैथोलोजिकल जांच के मानक तय कर दिए हैं। इसके तहत जांच केन्द्रों को बेसिक, मीडियम और एडवांस कैटेगरी में बांटा है। यह वर्गीकरण के लिए जांच केन्द्रों के काम करने वाले तकनीकी कर्मचारियों की संख्या, इन्फ्रास्ट्रक्चर और जांच के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों के आधार पर किया जाएगा। सरकार ने इसके लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके तहत हर जांच केंद्र को की गई सभी जांचों का ब्योरा रखना आवश्यक होगा। इस ब्योरे से अनावश्यक जांचों पर लगाम लगाई जा सकेगी। बता दें की इससे पहले सरकार ने दिल के रोग में काम आने वाले स्टेंट और महत्वपूर्ण दवाओं के कीमत तय कर दिए हैं, मगर उसके बाद निजी अस्पतालों की मनमानी नहीं रुक रही है।
स्थान नाम पैट सिटी प्लेन एमआरआई हेड
आनंद विहार हाउस ऑफ डायग्नोस्टिक सेंटर 10,000 3500
द्वारका से. सात ऑर्बिट इमेजिंग एंड पैथ लैब 25,000 6,000
हौजखास दिल्ली इंस्टिट्यट ऑफ फंग्श्नल इमेजिंग 15,000 2,500
रेलवे स्टेशनों पर खुलेंगे जनऔषधि केंद्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा डॉक्टरों से जेनरिक दवाएं लिखने की अपील के बाद केंद्र सरकार ने जेनरिक दवाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए रेलवे स्टेशनों पर जनऔषधि केंद्र खोलने की योजना बनाई है। इसके पहले चरण में देश के 1000 से अधिक प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर जनऔषधि केंद्र खोले जाएंगे। इन केंद्रों पर दवाएं 200 गुणा तक सस्ती मिलेंगी। ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले जेनरिक दवाएं जिन पर किसी कंपनी का पेंटेट नहीं रह गया है वे काफी सस्ती हैं। अभी देश में दवा कंपनियां पेटेंट खत्म हो चुकी दवाओं को अलग-अलग नामों से ब्राडेंड बनाकर बेच रही हैं। जबकि उनके साल्ट वहीं हैं जो जेनरिक दवाओं के होते हैं। इन औषधि केंद्रों पर मिलने वाली दवाएं 200 फीसद तक सस्ती होंगी। देशभर में अभी तक 1320 जनऔषधि केंद्र हैं। सूत्रों के अनुसार जनऔषधि केंद्र के जरिए अभी जो कारोबार हो रहा है, उसे 20 गुना करने का टारगेट है। जन औषधि केन्द्र खोलने के लिए 19 राज्यों से करार किया गया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार किसी इनडिविजुअल को जन औषधि केंद्र खोलने के लिए 2.5 लाख रुपए की मदद दे रही है। जनऔषधि केंद्र शुरू करने के लिए नियमानुसार 120 वर्ग फिट की जगह होना जरूरी है। जन औषधि केंद्र में फॉर्मेसिस्ट को दवाओं की बिक्री पर 20 फीसदी कमिशन देती है जो उसका मुनाफा होता है। सरकार का प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा जनऔषधि केंद्र खोले जाएं ताकि लोगों तक सस्ती दवाएं पहुंंच सके।
(विकास कुमार)