देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) के बढ़ते मामलों को लेकर लोग हर तरह की सावधानियां बरत रहें हैं। कोरोना वायरस के चलते बुधवार को राज्यसभा की कार्रवाई में सांसदों ने मास्क पहनकर हिस्सा लिया। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने इस पर आपत्ति जताते हुए सदस्यों को मास्क हटाने को कहा।
इस पर कांग्रेस के पी. चिदंबरम ने कहा कि मास्क लगाना सदन की परंपरा नहीं है लेकिन यह विशेष परिस्थिति है। अगर कोई सदस्य अपने आप को असुरक्षित महसूस करता है तो उन्हें मास्क लगाकर सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति दे जानी चाहिए।
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दरअसल, सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नायडू ने कहा कि सदन में सदस्यों को मास्क लगाने की अनुमति नहीं है। सदस्य या तो मास्क हटा लें या सदन से बाहर चले जाएं। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन, सुखेंदू शेखर राय और उनकी पार्टी के अन्य सदस्य मास्क पहनकर सदन में आए थे।
नायडू ने कहा कि अगर मास्क नहीं हटाया गया तो वह सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। इस पर कांग्रेस के एम. वी. राजीव गौडा ने कहा कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का भय है और बचाव के कार्य चल रहे हैं। कोरोना वायरस की स्थिति को देखते हुए सदन की कार्यवाही कुछ दिनों के लिए स्थगित कर देनी चाहिए।
नायडू ने कहा कि इस संबंध में वह अकेले फैसला नहीं कर सकते। इसपर हस्तक्षेप करते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पूरा देश मजबूती के साथ कोरोना वायरस से लड़ रहा है। सदन की कार्यवाही तय समय से पहले बंद करने से गलत संदेश जाएगा।
इसके बाद नायडू ने जरुरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवायें और दोहराया कि सदस्यों को मास्क उतार देने चाहिए या सदन से बाहर चले जाना चाहिए। यह सदन की परंपरा नहीं है।