ब्रिटेन लंबे समय से अटके पड़े एक समझौते पर हस्ताक्षर कर भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी और शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को इससे जोड़ सकता है। अधिकारियों ने बताया कि इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ब्रिटेन में कथित तौर पर अवैध रूप से रह रहे 75,000 भारतीयों को वापस भेजने में मदद मिलेगी।
कल ब्रिटेन की चरमपंथ निरोधक मामलों की मंत्री बेरोनेस विलियम्स ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू के साथ अपनी बातचीत के दौरान अवैध आव्रजकों पर समझौता ज्ञापन पर अंतिम हस्ताक्षर का मुद्दा उठाया। मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि घंटो चली इस बातचीत के दौरान बेरोनेस ने समझौता ज्ञापन पर औपचारिक हस्ताक्षर की जरूरत पर जोर डाला ताकि ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिए जाने के एक महीने के भीतर अवैध भारतीय आव्रजकों को देश लौटाया जा सके।
भारतीय पक्ष ने नीरव मोदी, माल्या और अन्य पर यहां मुकदमा चला सकने के लिए उनके प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया। अधिकारी ने कहा, “हमें डर है कि वह नीरव मोदी, माल्या और अन्य की प्रत्यर्पण प्रक्रिया को समझौता ज्ञापन के हस्ताक्षर के साथ न जोड़ दें।” रिजिजू और बेरोनेस के बीच हुई बैठक के दौरान ब्रिटेन पक्ष ने नीरव मोदी के ब्रिटेन में मौजूद होने की पुष्टि की।
रिजिजू ने 10 जनवरी को लंदन में अवैध आव्रजकों के मुद्दे पर मसौदा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे लेकिन औपचारिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अप्रैल में ब्रिटेन के दौरे के दौरान होने थे। हालांकि भारत की ओर से अंतिम समझौते पर हस्ताक्षर करने में देरी हुई। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सरकार के कुछ वर्गों द्वारा आपत्ति जताए जाने के कारण इसमें देरी हुई।
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