कांग्रेस पार्टी आजकल वित्तीय संकटों से जूझ रही है। कांग्रेस के पास इतना पैसा नहीं है कि वह 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी को 2019 के चुनावों में चुनौती दे सके।
पिछले पांच महीनों में कांग्रेस नेतृत्व ने कई राज्यों में अपने कार्यालयों को चलाने के लिए जरूरी फंड भेजना बंद कर दिया है। इस मामले की जानकारी रखने वाले कई कांग्रेस पदाधिकारियों ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि कांग्रेस ने अपने नेताओं से पार्टी के लिए चंदा बढ़ाने और खर्चों में कटौती करने के लिए कहा है।
खबरों के मुताबिक ,राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी में कारोबारियों की ओर से आने वाले पैसे में गिरावट आ रही है। पैसे की समस्या इतनी विकराल है कि कांग्रेस पार्टी को अपने एक उम्मीदवार की मदद के लिए चंदा मांगकर फंड का इंतजाम करना पड़ा था। आपको बता दे कि साथ ही पदाधिकारियों से खर्चों में कटौती करने को भी कहा गया है।
इससे पहले एक रिपोर्ट में बताया गया था कि राजनीतिक चंदा हासिल करने के मामले में बीजेपी ने रेकॉर्डतोड़ बढ़त हासिल की है। फाइनैंशल इयर 2016-17 में 81 पर्सेंट की ग्रोथ के साथ बीजेपी ने सबसे ज्यादा 1,034 करोड़ रुपये कमाए। यही नहीं, 7 राष्ट्रीय दलों में से उसकी अकेले की कमाई अन्य 6 पार्टियों को मिलाकर भी दोगुनी है। बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, तृणमूल, सीपीएम, सीपीआई और एनसीपी जैसे राष्ट्रीय दलों को कुल 1,559 करोड़ रुपये चंदे के तौर पर मिले हैं। इसमें करीब दो तिहाई हिस्सा बीजेपी को ही मिला है।
आमतौर पर केंद्र की सत्ता पर काबिज दल को सबसे अधिक चंदा मिलता है, लेकिन बीजेपी ने यूपीए की दौर की कांग्रेस को इस मामले में पीछे छोड़ दिया है। बीजेपी को 1034 करोड़ रुपये में से 997 करोड़ स्वैच्छिक दान के रूप में मिले, जो उसकी कुल आय का करीब 96 फीसदी है। इसमें भी 533 करोड़ रुपये उसे उन लोगों से मिले, जिन्होंने 20,000 रुपये से अधिक का चंदा दिया। कांग्रेस की कमाई में 2015-16 की तुलना में 14 फीसदी की कमी आई है और उसे 225.36 करोड़ रुपये की आय हुई है।
असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक कांग्रेस को 115.6 करोड़ रुपये की कमाई कूपन के जरिए हुई है। मार्च, 2018 की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस ने अपनी इनकम से 96 करोड़ रुपये अधिक खर्च कर दिए।
अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें।